ये कौन चला है ठोकने हस्पतालों पर ताले?
उसे बताओ दिल्ली उसके बाप की थोड़ी है।2।
आए लोधी-तुगलक,कई गांधी बने फन्नेखाँ,
कौन है ये रेजरी?वह किस चौपड़ की कौड़ी है? (4)
इठला रहा है कभी सीईओ,कभी प्रोप्राइटर बनकर,
औकात मियां की मेयर से ज्यादा कहाँ छोड़ी है ? (6)
मायाजाल मुफ्तखोरी का बुन,बैठ गया है मार कुंडली,
पांडव जिस पर टिक नहीं पाए,ऐसी बिगड़ी घोड़ी है! (8)
बड़ा कर्ण बन रहा मुफ्त बाँट कर बिजली-पानी,
उसने समझा क्या राजधानी को चाट-पकौड़ी है? (10)
कभी फोकटिए,कभी घुसपैठिए कहता पुव्वाचलियों को,
सिक्किम को अलग देश बता,कसर कहाँ कोई छोड़ी है।12।
बस चले तो लगवा दे ये दिल्ली का वीज़ा,
पर हर मोहल्ला फिर शाहीन बाग थोड़ी है ! (14)
सुधर जा-संभल जा,अभी समय है सेवा करने का,
वरना जनता ने पहले भी तेरी कमर तोड़ी है।16।
न क्षेत्रवाद फैला, न एक समुदाय को सर पर बैठा तू ,
भूल मत केंद्र के हाथ में पैनी हथौड़ी है।18।
चार सांसद,ढाई पसली का है प्यारे मत ले पंगे,
इन राष्ट्रवादियों ने बड़े-बड़ों की बाँहें मरोड़ी है।20।
The identity of Delhi started from Dhrastrastra and still Dhrastrastra is alive in Delhi. They can leave humanity and character for chair
LikeLike