मोक्षदायिनी पुण्यसलिला (मेरी कविता)

तर्क जब भी उतरा तरंगिणी में, सदैव उसे परिवर्तित पाया, कल भी शिप्रा, आज भी शिप्रा, मुझे न अंतर समझ में आया, जब भी उतरा मैं सरिता में, माँ ने ममता से नहलाया, प्राणप्रदायी, पुण्यसलिला, मुक्ति याचक तट पर है आया, धवल जल में कर्म धो-धोकर, आंचल मैला हुआ सदानीरा, प्रवाहमान पर भक्ति भाव से,…

आयु का खेल (मेरी कविता)

इतने वर्षों में यह तक जान नहीं पाया कि समय के साथ आयु बढ़ती है या घटती जाती है ? साथ समय के घटती है समझ, इतना तो हूँ समझता, वृद्ध भला क्या समझेगा वर्तमान को? अवस्था का लेकिन समझदारी से नहीं, लेना-देना है तो स्वप्नों के मूर्त विधान से,         (साकार होने से, tangible) परिवर्तन…

हर समय ही संक्रमण काल है (कविता)

हर समय ही ‘संक्रमण काल’ चल रहा होता है, हर समय परिवर्तन की बयार बह रही होती है, यह घड़ी-भर निकल जाये, अबकी बार स्वास्थ्य ठीक हो जाए, अबके चुनाव जैसे-तैसे निपट जाएँ, यह परीक्षा पूर्ण हो जाये, स्थानांतरण हो सकता है, अब हो जाने दिया जाये, ऋतु तो बदल जाने दो, बाज़ार गिरा हुआ…

A Viceroy’s Assassination that served No Purpose

Richard Southwell Bourke was a travel fiend. The Sixth Earl of Mayo spent three years in India as the Viceroy of the Crown and covered almost 20000 miles on foot, horseback, trains, bullock carts, boats and ships. No location was too remote for him, no journey not worth undertaking. Be it the call of duty,…

कविता पर वश नहीं (मेरी कविता)

कब किसी कवि ने संकोच भला किया है,कहाँ कोई कलम नियमों में बंध पायी है,क्या पृष्ठ कभी स्वयं के रंगे जाने पर खीजा है,कौन सा विचार कौंधने से पहले झिझका है,श्रोताओं ने भी नहीं कभी उदासीनता दर्शायी है,फिर क्यों बढ़ रही जीवन और कविता में खाई है. गद्य ने चाहे कर दिया हो समर्पण,पत्रकारों ने…

लॉयन ने बीसीसीआई की मारी होल्कर में खोलकर – इंदौर टेस्ट में भारत की शर्मनाक हार

मालवा में पानी की कमी है । पिच की ठीक से तराई नहीं हुई तो सूखा रह गया । बिना घास के ढीले विकट पर पहले अवर से ही धूल उड़ने लगी थी । मैच की पाँचवी गेंद को बेतहाशा टर्न मिला । कंगारू स्पिन तिकड़ी के सामने आईपीएल सुपरस्टार्स के होश फाख्ता हो गए…

अतुल बेड़ाड़े के चार छक्के फिर भी शारजाह में भारत की पाकिस्तान से हार

भला हो यूट्यूब के एआई का । कहीं से अतुल बेड़ाड़े का एक विडियो सुझाव भेज दिया । बैठे-बैठे मैं उनतीस साल पहले ट्रांसपोर्ट हो गया । मौका था औस्ट्राल-एशिया कप फाइनल का – भारत बनाम पाकिस्तान, वेन्यू शारजाह, साल चौरानबे । दिन यकीनन शुक्रवार रहा होगा, महीना अप्रेल का था, यानि हमारी फाइनल परीक्षाएँ…

अपनी घंटी पर मैं अब खुद ही बैठूँगा (मेरी कविता)

अपनी घंटी पर मैं अब खुद ही बैठूँगा, बजने से पहले फरमाइश पूरी कर दूंगा, तलब लगे जो चाय की तो है केटली तैयार, बोतल भर रख लिया है पानी, प्लेट में अल्पाहार, सिगरेट-गुटका वैसे बैन हैं, मँगवाने ही नहीं हैं, टिफ़िन, तश्तरी सजे मेज पर, चिंता ही नहीं है, फाइलें ढोना कल की बातें,…

अरुणिका की प्रतीक्षा (कविता)

टूटते अंधेरे से फूटती पौ में बिछी काली सड़क की देह विद्यमान है, अनवरत बहते यातायात से किन्तु   स्वप्न और संकल्प सप्राण हैं .   मदधम शीतल पवन में, धीमे-से सरसराती झाड़ियाँ, पास आते वाहनों का दंभी कोलाहल, दूर जाते हुओं के वेग का आवेग, उड़ती हुई पन्नियाँ और धूल, बिखरे पड़े कागज़ और…

There’s Not Enough Love for Novak Djokovic

( I wrote this piece for the print magazine FINAL in 2022. Reproducing it here for it stays forever relevant) “No one gets to enjoy the entire Universe, Some scrap of land or a handful of sky is denied, It’s not as if your life is a loveless desert, But not a drop falls where…

Destiny Stiched it for Michael

Destiny has a way of finding the best course for everyone. It conspires to get what you want, and eventually bring home the prize you earnestly desire. If you hang in, things and events occur in a manner to take you to the destination.  It might not even be your good luck working on that…