
देखना , देश में कोई चुनाव शेष न रह जाएँ
हमारे प्रचार माध्यम दो पल सुस्ताने न पाएँ
ऐसी कोई रैली न रहे जिसका आयोजन न हो
कोई रोड़ शो ऐसा जिसमे जन-अभिवादन न हो
कोई कोना, कोई बूथ जहां हम पहुँच न सकें
कोई वार्ड, कोई सीट जिसपर हम लड़ न सकें (6)
देखना, लाशें हो जाने से पहले सबका वोट पड़ जाए
महामारी बढ़े-तो-बढ़े, पुख्ता अपना सपोर्ट हो जाए
मत दिये बिना, मतदान करवाए बिना
तुम बच भी गए तो ऐसा क्या जीना?
घर में माँ-बाप-बच्चे तो आमूमन सबके हैं ( हैं, जी? हाँ, जी !)
हम हिंदुस्तानी, लोकतान्त्रिक परंपराओं में पक्के हैं
वे भले निरंकुशता का रोना रोते रहें
उन्हें भय लेकिन इस ‘बहुत अधिक लोकतन्त्र’ से लगता है
उन्हें तो सिर्फ सत्ता में अपनी बारी की चिंता है
मुझे किसी तरह की भागीदारी से डर लगता है (16)

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#रोड़शो #रैली #चुनाव #लोकतन्त्र #बहुतअधिकलोकतन्त्र #कोरोना
Once there were the leaders for the country and the leaders were to serve the people and now the leaders are the suckers of everything of the people and even of the country ………. really we are cursed to live in these days in these Leaders rule
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