ध्यान दें, ध्यान न करें – अकारण चिल्लपौं

on

चुनाव के अंतिम चरण से पहले मुख्य विवाद इस बात पर है कि “प्रधान महाशय, आप ध्यान करने क्यूँ बैठ रहे हैं? अरे भाई, बैंकॉक जाना चाहिए”। खानदानी, नामदार लोग थकान मिटाने और स्फूर्ति पाने के लिए थाईलैंड जाते हैं । ध्यानरत भी आप ऐसे स्थान पर होना चाहते हैं जहां स्वामी विवेकानन्द ने 1892 में तीन दिवस तक ध्यान लगाया था । वैसे एक हिन्दू संत के पदचिह्नों पर चलकर उनकी स्मृतियों को जीवंत करने के प्रयासों पर आपत्ति तो होनी ही चाहिए । और फिर स्वामी जी मात्र हिन्दू नहीं थे, प्रखर राष्ट्रवादी भी थे । विवेकानंद रॉक पर ध्यान लगते हुए ही उन्हें भारतमाता की दिव्य अवधारणा की अनुभूति हुई थी । बताइये, तमिलनाड तट पर बैठ कर ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ पर मनन! इससे ज्यादा खेदजनक और क्या हो सकता है । इससे न जाने कितनों की भावनाएं आहत होंगी ।

वैसे तमिल नाड ही नहीं, समूचे दक्षिण में मतदान हो चुका है । सेवक महाराज की चुनावी ड्यूटी भी नहीं लगी है । प्रचार समाप्त होने के उपरांत ऊर्जा संवर्धन हेतु मनन-चिंतन-योग-ध्यान करना चाहते हैं । अब सबसे बड़े खिलाड़ी हैं तो मीडिया उन्हें कवर करने हेतु दौड़ेगा भी और जहां-जहां जाएंगे वहाँ अपार जनसमूह उन्हें देखना भी चाहेगा । यूं तो फिर मांग यह हो कि अब से कार्यवाहक सरकार की देखरेख में चुनाव करवाए जाएँ । समस्या की मूल जड़ तो यही है । जिसके होने से ही समस्या हो, उसके यशस्वी होने पर तो सीने पर साँप लोटना अवश्यंभावी है । फिर भी बचकानी शिकायतों से बचते हुए सहनशीलता का दायरा बढ़ाना चाहिए । क्या है कि राजनीतिक परिपक्वता ऐसे कृत्यों से ही प्रदर्शित होती है, प्रचार करने से जनता स्वीकार नहीं कर लेती ।

 

वैसे दिक्कत क्या है, आप भी निकालिए न अपनी जोड़तोड़ यात्रा । चीन नाराज़ न हो जाए संभवतः यह सोचकर पहले अरुणाचल छोड़ दिया गया था । अब चले जाइए । भ्रमण करेंगे तो फुटेज भी मिलेगा । देश-विदेश में सकारात्मक संदेश जाएगा सो अलग । वरना रोना क्या और गाना क्या ? ऐसा करके चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के साथ साइन किए गए एमओयू को इतिहास के कूड़ेदान में फेंकने का अवसर भी है ।

यूं भी प्रचार थम जाने के बाद उम्मीदवारों को भूमिगत होने के आदेश नहीं हैं । वे दिख सकते हैं, सांस ले सकते हैं और लोगों से बातचीत भी कर सकते हैं । मीडिया उन्हें कवर करना चाहे तो ऐसा करने के लिए स्वतंत्र है । फिर अमुक प्रत्याशी तो अपने लोकसभा क्षेत्र से ढाई हज़ार किलोमीटर दूर रहकर केवल ध्यानरत रहना चाहता है । उस पर भी आपत्ति?


#विवेकानंद #कन्याकुमारी #विवेकानंदरॉक #ध्यान #लोकसभाचुनाव #अरुणाचल #स्वामीविवेकानंद #प्रचार

Leave a comment