परिचर्चा इतनी उत्कृष्ट है तो पुस्तक कितनी आनंददायक होगी – चलो बनारस !

लल्लनटॉप द्विवेदी और व्योमेश शुक्ल के मध्य हुए अस्सी मिनट के एक वार्तालाप को श्रवण कर मेरे अन्तर्मन का बनारसी अस्सी घाट की ऐसी एक साँझ में जा टिका जब वहाँ से कुछ ही आगे ध्रुपद मेले का आयोजन हो रहा है , और ऐसा प्रतीत होता है मानो रुद्र वीणा से निकलती तरंगें गंगा…

इतिहास के ताले-तहख़ानों को खुलने दो

ताले टूटते हैं, तहखाने खुलते हैं, सर्वे होते हैं, विडियोग्राफी होती है, न्यायालयों में साक्ष्य प्रस्तुत किये जाते हैं, वाद- विवाद होता है तभी तो इतिहास करवट लेता है, भगवान जागते हैं और शताब्दियों पूर्व हुए अन्याय का हिसाब- किताब होता है । बंद ताला या तहखाना किसी साध का अंत नहीं हो सकता ।…

बीएचयू – मधुर मनोहर, अतीव सुंदर (कविता)

ज्ञानपथ, यह प्रेमपथ, कर्मपथ, कर्तव्यपथ, जो महामना के स्वेद से सिंचित हुआ वह धर्मरथ, गुरु त्याग के मानक जहां, शिष्य लें समर्पण की शपथ ।6। कृष्णचूड़ा की लहू-लालिमा में आल्हादित,उन्मादित विजयपथ, काशी की अनुपम धरोहर का यह स्वर्णिम चित्र है उद्धृत, महादेव की असीम अनुकंपा से उल्लासित सदैव यह पुण्यपथ।12। (चित्र व्हाटसप पर प्राप्त, विश्व-विद्यालय…