भाषाई फुलझड़ी : धुलेलकर की हिंदुस्तानी के नाम पर संविधान सभा में धमाचौकड़ी

संबिधान सभा की दूसरी बैठक, तिथि 10 दिसंबर, 1946 सेक्षंस एवं कमेटी के मसले पर सदन में गरमागरम बहस चल रही थी । एक तरफ थे कृपलानी तथा जयकर, दूसरी तरफ लामबंद थे सुरेश चन्द्र बनर्जी , श्यामप्रसाद मुखर्जी, टंडन, केएम मुंशी और हरनाम सिंह । पंडित नेहरू कृपलानी को संघर्ष विराम का इशारा करके…

कैसे डूब गया दिनकर दक्षिण के दूर दिशांचाल में ?

जिन दिनकर को समस्त भारतवर्ष ने राष्ट्रवादी चेतना एवं वीर रस के प्रखरतम राष्ट्रकवि के रूप मे जाना, उन्हीं रामधारी सिंह को जीवन के अंतिम वर्षों में विरक्ति-सी हो गयी थी । उनका आखिरी समय बहुत अवसाद में कटा । मद्रास में बीती अपनी अंतिम संध्या पर दिनकर ने डायरी में लिखा- “सब कुछ पाकर…

Spare us your Wordle Scores

Know that you are a Wordle salesman at the very least if you have the knack for dumping your coloured cubes on social media. I should be harsher in my assessment of the trolls who interrupt my feed every day with their juvenile nonsense masquerading as intellectual masturbation. Football fans have a similar fascination with…

बाड़ू बाड़मेरी की कीड़ियों का सच

बचपन में चींटियों पर बहुत निगाह जाती थी । खड़े हो जाने और लंबे हो निकलने के साथ चींटियाँ दृष्टि से ओझल होती गईं । एक दिन आवारागर्दी कर हॉस्टल लौटे तो बाड़ू बाड़मेरी के खाखरों में सहस्त्रों चींटियों को प्रीतिभोज करते पाया । बाडू ज़ोर से चीखा, “कीड़ियाँ!”, और अपना माथा पकड़ लिया ।…

Vijaya Lakshmi Pandit in Conversation with Three World Leaders

Besides being the daughter of Motilal Nehru and younger sister of Jawaharlal Nehru, Vijaya Lakshmi Pandit was among the most influential diplomats of independent India. She was sent as India’s first Ambassador to the USSR(1947-49). After that she represented the country in the US and Mexico between 1949 and 1951. She was elected the first…

कुफ़्र-काफिर पर ऐतराज नहीं, झांट-झंटुए और *टुए पर है ? (निबंध)

परसों तक सब्र ही तोड़ते थे, कल कुफ़्र भी तोड़ दिया । सब्र का क्या है साहब । हम लोग काफिर हैं, बारह सौ साल से बुतशिकनों की नफरत खत्म होने का इंतज़ार कर रहे हैं । कश्मीर में आज भी हमारे लोग मारे जा रहे हैं । शर्म बस हमें आती नहीं । क्रिकेट…

झाँट पर झंझावात क्यूँ , भाषा पर भारी संस्कार क्यूँ ?

भाषा का कार्य है वस्तुस्थिति का वर्णन करना, और संवाद स्थापित करना । इसपर रह-रहकर नैतिक और राजनैतिक प्रहार होते रहते हैं । भाषा को भ्रष्ट करके न सामाजिक समरसता लाई जा सकती है , न ही शब्दों और विन्यासों को नियंत्रित अथवा प्रतिबंधित करके लोगों को संस्कारित रखा या बनाया जा सकता है ।…

करते रहिए TRAY,कोषीश,पृयास – कभी तो ठीक बैठेंगे अक्षर विन्यास

(अरे सुनो, भाषाई शुचिता के ठेकेदारों – हमें ब्याहकरण से बैर नहीं, पर स्पेलिङ्ग तेरी अब खैर नहीं। जो कुछ लिखा है जानभूझ कर लिखा है, टाइपो नहीं है । समझ में आ जाए तो ठीक है, वरना समझना कोई मुलभुत ज़रूरी नहीं है) हे अत्याचारिणी इंग्रेज़ी ! बचपन से सुनता आ रहा हूँ कि…

Inglourious BULBBULS

(No Spoilers)   Although Seven was marketed as Se7en, it neither hurt the sense of the name, nor its pronunciation. Rather it reinforced the idea of ‘seven deadly sins’ around which murders in the film occur. Pursuit of Happyness was so named despite Will Smith pointing at the incorrect spelling on the wall graffiti in…

अमरवीर कहें, शहीद कहकर न काम चलाएं

  जिन बीस शूरवीरों ने लद्दाख में अपने प्राणों की आहूति दी है, वे तेलुगू भाषा में अमरवीरुडु कहलाएंगे । हिन्दी और संस्कृत में उनके लिए आदरसूचक हुतात्मा का प्रयोग होगा जिसका अभिप्राय उस व्यक्ति से होता है जिसने किसी अच्छे कार्य में अपने आप को हवन कर दिया हो । वीरगति को प्राप्त हुए…

THOO-THOO

Yesterday, my college WhatsApp group held an online THOO-THOO poll. Two of our pals were to be voted upon, and the winner, implying the most hate-worthy one ,was to be drowned in a bucketful of spit – to be ‘thoothoo-ed’  upon virtually, by means of chat emoticons, is what it entailed. It might be odd…