NADAV LAPID – A SELF-GOAL by INDIA

Nadav Lapid is a free man who makes good films, and has the right to air his views. He was invited to Goa to the head the IFFI jury by Indian officials. His understanding of cinema is his own to savour and propagate. That he condemned The Kashmir Files as ‘vulgar’ and ‘propaganda’ is his…

लव जिहाद को लिब्रांडों का परोक्ष संरक्षण क्यूँ?

जब शाहरुख ने दिल्लीवालों पर पिस्तौल तानी था तब रवीश पाणे ने उसे अनुराग मिश्रा जा बताया था । शांतिदूत के बचाव के साथ-साथ ब्राह्मण को गाली – डबल इनाम पाइस होगा रवीश्वा ! शाहरुख दुमका में बड़ा कांड कर दीस,  लेकिन चेहरे पर शिकन तक नहीं । इंडिया टुडे के मामुओं ने उसे अभिषेक…

I Knew they would get me Someday : Salman Rushdie

I knew they would get me some day. There exist no escape routes. All roads to hell are guarded well by the jihadis. There is no way I could have befuddled this brigade of blind believers, and reached hell in a single piece, without them getting an opportunity to serve their Faith. The fatwa was…

Reflections on the Misplaced Outrage of the Islamic Fiefdoms

By looking towards the Middle East and the West to issue reprimands to India over religious matters, and expressing unabashed glee after these bastions of Abrahamic faiths registered official protests, many have proved the correctness and importance of Savarkar’s Punyabhumi test of Bhartiyata. Since ‘punyabhumi’ of these people is not India, even if their karmabhumi…

मैं चिल्लाया ‘सईद अनवर’ (कविता)

सड़क पर चलते-चलते, सौहार्द पर मनन करते,  यकायक मेरा पाँव गया मुड़, मैं ज़ोर से चिल्लाया, सईद अनवर, स ई ई द अन वर र र र….. लोगों ने आव देखा न ताव, ज़मीन पर लेट गए सोचकर, कि अब होगा धमाका, क्या पता बरसें गोलियां, कुछ नहीं हुआ तो भी उन्हें डर ने घेरे…

चौंकते रहो ! (कविता)

हर अवरोध पर चौंकना भले हमारी आदत बन गई हो, पर हमारा डीएनए नहीं बनना चाहिए, चुनौती सामने खड़ी है- स्पष्ट, चमकती हुई, प्रश्नवाचक बन कर, हमारा जवाब मांगती, हमें चेताती, चौकन्ना करती, छतों पर, खड़ी है– पत्थर लिए हाथों में, बोतलों में पेट्रोल भरे, (117 रुपए लीटर वाला वही महंगा पेट्रोल, जो तुमको न…

तुष्टिकरण, तेरे कितने नाम ?

दस-बारह करोड़ का घपला कोई धरतीफाड़ कांड नहीं होता । इतने में तो कुत्ते के गले का पट्टा या काले कौवे की फेन्सी ड्रेस वाली पोशाक भी नहीं आते । जो तुम्हें लगता हो आते हैं तो खरीद कर पहन लो । क्या गलत  कहा है दिल्ली उच्च न्यायालय ने ? पेट्रोल इतना महंगा हो…

हम सिनेमा भी देखें तो सांप्रदायिक (कविता)

कल तक हम वोट देकर, मनपसंद सरकार चुनकर धर्मांध थे, आज हम एक सिनेमा देखकर ही सांप्रदायिक हो गए, हमारे पूजा-पाठ-मंदिरों से तो सदैव समस्या रही है, कल को ऐसा न हो कि हमारा होना ही तुम्हें खटकने लगे , और सिनेमा क्या है, वह हमारी नपुंसकता का दस्तावेज़ है, काँपते हाथों से आँसू छिपाकर…

संजय दत्त को पुलिस ने आतंकवादी साबित होने से कैसे बचाया ?

12 मार्च 1993 को दोपहर डेढ़ से तीन चालीस के बीच मुंबई में 12 बड़े धमाके हुए । दाऊद इब्राहिम,उसके गुर्गे टाइगर मेमन और कई अन्य दुर्दांतों ने आईएसआई के साथ मिलकर एक खतरनाक षड्यंत्र रचा था । उन्हें पूरी उम्मीद थी कि ब्लास्ट के बाद सांप्रदायिक दंगे भड़क उठेंगे । इसलिए बम बनाने के…

कॉमेडी नहीं कर पा रहा, तो जा पत्रकार बन (व्यंग्य)

कहता तो स्वयं को कोमेडियन है, लेकिन अंतर्यामी जनता को अब न इसकी ज़बान पर भरोसा रहा है, न ही नीयत पर । पहले यह हास्य के नाम पर फूहड़ फब्तियाँ कसा करता था । फिर कुछ जोक्स निशाना भटक गए । तब से ही लेने के देने पड़ गए । नीच की नीचता सतह…