I was feeding a cow standing by the roadside. As I did so, I patted her head, and mouthed sweet-nothings. She kept her eyes closed while chewing, but kept nodding as if she agreed with whatever I had to say. Both of us- the mother and the son, the Gau and her Bhakt – were…
Category: Hindutva & Loonies
ब्रह्मास्त्र – महण्णे माफ करना, गलती म्हारे से हो गयी !
अपनी गाढ़ी कमाई का पैसा खर्च करके मैं अब कभी विष्ठावुड फिल्में देखने थियेटर नहीं जाता, पर कल एक वामी-कामी के सौजन्य से जाना पड़ गया । जानता हूँ कि विभिन्न कारणों से ब्रह्मास्त्र को बॉयकॉट करने की मुहिम चल रही है, और मैं उससे पूर्णतया सहमत भी हूँ, पर वामपंथी चिरकुट ऐसा पीछे पड़ा…
थाली नहीं मंगाऊंगा, उर्दुवूड को सबक सिखाऊँगा
क्या ज़माना आ गया है, महाकाल से थाली भी नहीं मँगवा सकते ! पंडे-पुजारी विरोध करने लगते हैं, बॉयकाट ट्रेंड होने लगता है । जनमत बहुत कुशल महावत होता है, सरकार आलसी हो या घमंडी, उससे अपनी मनवाना जानता है । पर अभी बात महाकाल की जहां न तो भोजन की कोई व्यवस्था होती है,…
Dharmaveer : The Anand Dighe Biopic that foretold the current Revolt
Dharmaveer: Mukkam Post Thane (available on Zee5), the Marathi biopic of the Shiv Sena strongman, Anand Dighe, was released in May 2022. Aside from presenting Dighe (who passed away in 2001) and the Thane Shiv Sena unit as virtually autonomous, the film also strongly made the point that the party had grown powerful only by…
The Unnecessary Death of Dr.Shyama Prasad Mookerjee – A Top Level Conspiracy?
Dr. Mookerjee resigned from the Union Cabinet in 1950 against the signing of the Nehru-Liaquat Pact. He was dissatisfied with the efforts of the Government of India in safeguarding the lives of Hindus in East Pakistan, who he felt had been left totally at the mercy of the Pakistanis. Mookerjee founded the Bharatiya Jana Sangha…
इतिहास के ताले-तहख़ानों को खुलने दो
ताले टूटते हैं, तहखाने खुलते हैं, सर्वे होते हैं, विडियोग्राफी होती है, न्यायालयों में साक्ष्य प्रस्तुत किये जाते हैं, वाद- विवाद होता है तभी तो इतिहास करवट लेता है, भगवान जागते हैं और शताब्दियों पूर्व हुए अन्याय का हिसाब- किताब होता है । बंद ताला या तहखाना किसी साध का अंत नहीं हो सकता ।…
मैं भी परशुराम (कविता)
एक हाथ में फरसा मेरे, दूसरे में वेद हो, शोषण होते देख मुझको परशुराम-सा क्रोध हो, आततायी को अनुशासित करना मेरा नित्य कर्म, सनातन की सेवा ही हो अब से मेरा परम धर्म ।4। कर सकूँ बेधड़क होकर गोवंश तस्करों का संघार, काँप जाएं सहस्त्रार्जुन-संतति सुनकर मेरी सिंह दहाड़, राम को भी टोक सकने का…
चौंकते रहो ! (कविता)
हर अवरोध पर चौंकना भले हमारी आदत बन गई हो, पर हमारा डीएनए नहीं बनना चाहिए, चुनौती सामने खड़ी है- स्पष्ट, चमकती हुई, प्रश्नवाचक बन कर, हमारा जवाब मांगती, हमें चेताती, चौकन्ना करती, छतों पर, खड़ी है– पत्थर लिए हाथों में, बोतलों में पेट्रोल भरे, (117 रुपए लीटर वाला वही महंगा पेट्रोल, जो तुमको न…
तुष्टिकरण, तेरे कितने नाम ?
दस-बारह करोड़ का घपला कोई धरतीफाड़ कांड नहीं होता । इतने में तो कुत्ते के गले का पट्टा या काले कौवे की फेन्सी ड्रेस वाली पोशाक भी नहीं आते । जो तुम्हें लगता हो आते हैं तो खरीद कर पहन लो । क्या गलत कहा है दिल्ली उच्च न्यायालय ने ? पेट्रोल इतना महंगा हो…
हम सिनेमा भी देखें तो सांप्रदायिक (कविता)
कल तक हम वोट देकर, मनपसंद सरकार चुनकर धर्मांध थे, आज हम एक सिनेमा देखकर ही सांप्रदायिक हो गए, हमारे पूजा-पाठ-मंदिरों से तो सदैव समस्या रही है, कल को ऐसा न हो कि हमारा होना ही तुम्हें खटकने लगे , और सिनेमा क्या है, वह हमारी नपुंसकता का दस्तावेज़ है, काँपते हाथों से आँसू छिपाकर…
पूंजापति के बहाने राजा पूंजा का अपमान, गूँजापति तुम कैसे निकले इतने महान (व्यंग्य)
विद्वान जी को दुनिया भर का ज्ञान है । डंके की चोट पर कहते फिरते है कि उपनिषद पढे हैं । गंभीर व्यक्ति इस तरह अपने मोरपंख नहीं फैलाता । विद्वान महाशय टर्राते भी हैं, तो दुनिया को प्यार करने का, गले लगाने का और मानवता का निःशुल्क संदेश दे जाते हैं । आजकल हिन्दू…
Hindutva & Hinduism- Hinduphobes perhaps Know more than Scriptures & the Supreme Court (An Essay)
The Supreme Court, in the ‘Shastri Yajnapurushadji’ judgement of 1966, attempted to narrate the meaning of historical and etymological genesis of the word ‘Hindu’ and to define HINDUISM, but concluded with these words- “Hinduism is impossible to define”. The Court adopted Radhakrishnan’s submission that Hinduism is complex, and the theist and atheist, the sceptic and…