If walking your dog inside a sports stadium can get you transferred out of a shit hole to some idyllic heaven, imagine what could be achieved if you can make your dog pee or poo inside it? Exile to Tibet perhaps, or banishment to Xinjiang, if the trends hold. Perhaps the Grandees sitting in the…
Category: Anecdote
तेरह साल बाद बाइज्ज़त बरी – पुलिस को लताड़, निचली अदालत पर चुप्पी
अभी हाल ही में अनुसूचित जनजाति का एक युवक 13 बरस का कारावास काटकर भोपाल जेल से रिहा हुआ । उच्च न्यायालय ने उस पर लगे हत्या के आरोप को सिरे से खारिज कर दिया । माननीय न्यायालय ने तीखे स्वर में पुलिस की भर्त्सना की और समूची जांच को मनघड़न्त, गैर-जिम्मेदार और विद्वेषपूर्ण पाया…
भाषाई फुलझड़ी : धुलेलकर की हिंदुस्तानी के नाम पर संविधान सभा में धमाचौकड़ी
संबिधान सभा की दूसरी बैठक, तिथि 10 दिसंबर, 1946 सेक्षंस एवं कमेटी के मसले पर सदन में गरमागरम बहस चल रही थी । एक तरफ थे कृपलानी तथा जयकर, दूसरी तरफ लामबंद थे सुरेश चन्द्र बनर्जी , श्यामप्रसाद मुखर्जी, टंडन, केएम मुंशी और हरनाम सिंह । पंडित नेहरू कृपलानी को संघर्ष विराम का इशारा करके…
An Innocuous Question in the Age of Wokism
I was walking inside a park, when I ran into an old acquaintance. She was walking her baby in a pram. They live in Montreal, and were in Kota to attend a family function. We exchanged pleasantries and made casual small talk. The baby, hardly a year old, screamed for attention. “ We’re just moving,…
M.M.Godbole’s The Walking Brahmin – A First Person Account of the First War of Independence
Vishnubhat Godse was a poor Brahmin who resided in Varsai village in Maharashtra. Together with his uncle Rambhat, he embarked upon a yatra in 1857, crisscrossed the country on foot, conducted yajnas and anushthans at many places, earned a bit but lost it all, survived the mayhem of the first war of independence and returned…
बाड़ू बाड़मेरी की कीड़ियों का सच
बचपन में चींटियों पर बहुत निगाह जाती थी । खड़े हो जाने और लंबे हो निकलने के साथ चींटियाँ दृष्टि से ओझल होती गईं । एक दिन आवारागर्दी कर हॉस्टल लौटे तो बाड़ू बाड़मेरी के खाखरों में सहस्त्रों चींटियों को प्रीतिभोज करते पाया । बाडू ज़ोर से चीखा, “कीड़ियाँ!”, और अपना माथा पकड़ लिया ।…
संजय दत्त को पुलिस ने आतंकवादी साबित होने से कैसे बचाया ?
12 मार्च 1993 को दोपहर डेढ़ से तीन चालीस के बीच मुंबई में 12 बड़े धमाके हुए । दाऊद इब्राहिम,उसके गुर्गे टाइगर मेमन और कई अन्य दुर्दांतों ने आईएसआई के साथ मिलकर एक खतरनाक षड्यंत्र रचा था । उन्हें पूरी उम्मीद थी कि ब्लास्ट के बाद सांप्रदायिक दंगे भड़क उठेंगे । इसलिए बम बनाने के…
Vijaya Lakshmi Pandit in Conversation with Three World Leaders
Besides being the daughter of Motilal Nehru and younger sister of Jawaharlal Nehru, Vijaya Lakshmi Pandit was among the most influential diplomats of independent India. She was sent as India’s first Ambassador to the USSR(1947-49). After that she represented the country in the US and Mexico between 1949 and 1951. She was elected the first…
मोबाइल नर नारायण : मोबाइल हाथ में लेकर एकला चलो रे !
चलते पंखे की आवाज़ आपको बीतते हुए समय का एहसास कराती है । घड़ी की सुइयों को रेंगते देखकर मन में गिंडोले सरकने लगते हैं । बहता हुआ नल अगर मटके या बाल्टी को भर रहा है तो समृद्धि का , पर अगर फिजूल पानी खर्च हो रहा है तो बरबादी का भाव देता है…
बंसल सर : जिस गणित के गुरु ने पढ़ाया हास्य-विनोद
मास्टर गणित के थे , पढ़ाई लेकिन ज़िंदगी । गणित , और कोई भी अन्य विषय, कितना विनोदपूर्ण हो सकता है, यह विनोद जी ही नहीं समझाते तो समझाता कौन ? लेखक, पत्रकार या कोमेडियन होते तो भी बम्पर हिट रहते, पर फिर कोटा नगरी का कायाकल्प नहीं हो पाता । सत्रह से उन्नीस साल…
लौहपथगामिनी में दिव्य निपटान
(अगर आपको गंदगी , पाखाने और सच से घिन आती है तो कृपया आगे न पढ़ें , क्यूंकी यह ब्लॉग इन्हीं सब के बारे में है, और इसे पढ़ना भयावह हो सकता है ) वास्तविक टाइटल – “ट्रेन में टट्टी” बत्तीस घंटे का लंबा सफर है देवास से कोलकाता का । इतनी देर में किसी…
चल बसा एक समाजोपयोगी
परसों तक उसके मदिरा व्यसन और निद्रा प्रेम के चर्चे थे । कल वह अकाल मृत्यु को प्राप्त हो गया । बहुत से शोकातुरों ने बंद मुट्ठियों – खुले अंगूठों को अपने मुखों की ओर खींचकर उसकी मृत्यु में मदिरा के योगदान के बारे में पड़ताल करनी चाही । कुछ ने सीधे यकृत पर आक्षेप…