समय ने सम्पत को दौड़ा ही दिया (लघु कथा)

सम्पत पिछले पच्चीस सालों से दौड़ा नहीं था । इतने सालों में वह जहां भी गया चल कर गया । जाने की जल्दी भी हुई तो गाड़ी में बैठ कर गया, या फिर जहाज़ में उड़कर । काल उसपर इतना भारी कभी नहीं हो पाया की दौड़ा ही दे । कभी पैदल चलकर समय पर…