विश्व कप में बारह बार हारने के बाद पाकिस्तान को अंततः भारत पर जीत नसीब हुई । छियान्वे से हरे वकार युनूस के घावों पर अब जाकर कुछ मलहम लगा । कसम से जडेजा ने तब इसे बड़ा कस के कूटा था । तीस साल बाद मिली इस दुर्लभ खुशी में भी वकार को सबसे…
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मैं फोड़ूँ तो चलता है (कविता)
खबरदार रोका जो मुझे,पटाखे फोड़ता गर दिख जाऊँ,जीता है मेरा पाकिस्तान,कमबख्त दिवाली थोड़ी है, काफ़िर लाख दें जलालतें,दो दलीलें मेरे वकील बन तुम,था करवा चौथ भी तो,पड़ोसी शौहर से कम थोड़ी है, कोई न टोके, पूछे न कुछ,लोकशाही को जिंदा रखना,तीस बरस में आया मौका,दिवाली तो हर बरस है मनना, तुम छोड़ो हो धुआँ-धुआँ,मैं करूँ…
कुफ़्र-काफिर पर ऐतराज नहीं, झांट-झंटुए और *टुए पर है ? (निबंध)
परसों तक सब्र ही तोड़ते थे, कल कुफ़्र भी तोड़ दिया । सब्र का क्या है साहब । हम लोग काफिर हैं, बारह सौ साल से बुतशिकनों की नफरत खत्म होने का इंतज़ार कर रहे हैं । कश्मीर में आज भी हमारे लोग मारे जा रहे हैं । शर्म बस हमें आती नहीं । क्रिकेट…