
फसल कट गयी रे भाया, अब सूणो-सूणो लागे रे,
धूप चढ़ गयी सिर पर म्हारे, आलस रो घोड़ो भाग्यो रे,
सड़क चकाचक बिछी हुई, म्हूँ खूब दुड़ाऊँ फटफटिया,
जद एक सड़क दो में बट ली, तो कठे मुड़ूँ तू या बतला,
पेड़ एक कोणी रस्ता मह, ताप म्हणे घणौ लागे,
पोल डल्या छ बजली का, मण में पंखौ-कूलर भागे,
म्हूँ यहाँ जहूँ- म्हूँ वहाँ जहूँ, मण रो मौजी जग में डोले,
महीं भटकबो चोखो लागे, भले दुनिया आवारो बोले ॥
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