
अपनी घंटी पर मैं अब खुद ही बैठूँगा,
बजने से पहले फरमाइश पूरी कर दूंगा,
तलब लगे जो चाय की तो है केटली तैयार,
बोतल भर रख लिया है पानी, प्लेट में अल्पाहार,
सिगरेट-गुटका वैसे बैन हैं, मँगवाने ही नहीं हैं,
टिफ़िन, तश्तरी सजे मेज पर, चिंता ही नहीं है,
फाइलें ढोना कल की बातें, सब हो चुका ऑनलाइन,
करनी है कुछ चर्चा किसी से, लगा भाई मोबाइल,
बैठ के खुद की घंटी पर एक नौकरी हर लूँगा
टोकनिज़्म के नाम पर खजाना भी भर दूंगा
मिल जाये शायद फिर मुझको पेंशन ‘पुरानी’ वाली
बजाओ बच्चालोग सारे मिलकर मेरी शानपट्टी पर ताली
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