
मन की इच्छा लिखने की है,
पैरों को पर चलना है ,
बरस रही है बरखा रिमझिम,
मौसम में भी रमना है,
छाता टांगू, जूते पहनूँ,
या बैठ मेज पर भाव उड़ेलूँ,
कलम चलाऊँ या फिर पैर,
करूँ कविता, कर आऊँ सैर,
चलते-चलते सोचूँ-सोचूँ,
लिखते-लिखते उड़ ही जाऊँ,
उधड़ूँ थोड़ा, थोड़ा बुन लूँ,
त्रिशंकु बन लटक न जाऊँ ।
#हिन्दी #हिन्दीकविता #कविता #उधेड़बुन #त्रिशंकु #लेखन #सैर #आनंद
Lovely, with a good rhyming!🦋
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Bahut khubsurti se apne likha hai.
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Thanks Madam
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