
क्या ज़माना आ गया है, महाकाल से थाली भी नहीं मँगवा सकते ! पंडे-पुजारी विरोध करने लगते हैं, बॉयकाट ट्रेंड होने लगता है । जनमत बहुत कुशल महावत होता है, सरकार आलसी हो या घमंडी, उससे अपनी मनवाना जानता है । पर अभी बात महाकाल की जहां न तो भोजन की कोई व्यवस्था होती है, न फूड-डेलीवरी का प्रश्न ही उठता है, फिर आखिर हुआ क्या? एक समय था जब गणपत को बोलते थे ‘चल, दारू ला’ और वह पट से टेबल पर चखना, दारू और सोडा सेट कर देता था । वैसे इन ऊर्दुवुड़ियों ने कभी जिस्सु, मुस्सू या गुल्लू को चाय-सुट्टा लाने या पेग बनाने को नहीं बोला । वहाँ इनकी भांड फट जाती है । आजकल हम हिन्दू भी असहिष्णु हो गए हैं । हिन्दू देवताओं या धर्म से जुड़ी कोई भी अनर्गल बकवास सुनते हैं तो ऊंचे स्वर में विरोध जताते हैं । बस यही बात वामी- कॉमी लॉबी कॉ अच्छी नहीं लगती । कालीन के रवों तक के दाँत निकाल आए हैं, लिब्राण्डे हमपर चलते तो अब भी हैं, पर उनके पाँव छिलने लगे हैं । रितिक रोशन महाकालेश्वर मंदिर से नहीं, महाकाल रेस्तरां से थाली मँगवा रहा था । चिकना स्वयं भी खाएगा क्या कभी वहाँ की थाली ?
वैसे ज़ोमेटो ने फालतू में ही ये पड़ी लकड़ी ले ली । ब्रेन्ड एम्बेसेडर के तौर पर रितिक रौशन का इतिहास बहुत बावलिया रहा है । बात ट्रेक रेकॉर्ड की है, जीता-जागता कोई इंसान वैसे पनौती होता नहीं है । S.Kumars ने 2001 में Tamarind नाम का एक रेडीमेड ब्रांड लॉंच किया था । ब्रांड एम्बेसेडर बनाया ऋतिक को, कपड़े भी स्टाइलिश से निकाले । पर Tamarind चला नहीं और साल भर में उसे बंद करना पड़ा । फिर HomeTrade का नंबर लगा, जो संजय अग्रवाल का एक फ्रॉड ब्रांड था । उसका पंचलाइन ‘Life means more’ बहुत चला था । यह तीसरी पार्टियों से लेकर सरकारी securities की बिकवाली करता था । इसने ब्रांड बनाने में दनादन पैसा खर्च किया और बाकी कई मशहूर हस्तियों को लिया सो तो लिया, ऋतिक को भी ले लिया । भांडा कभी तो फूटना ही था, अब फटाक से फूट गया । एक साल से भी कम समय में ऋतिक ने यह काम कर दिखाया । बाद में क्लेम किया कि Home Trade उसके पैंसठ लाख रुपए खा गया है । लेकिन लगता है यह सब केवल स्वनाम बचाने के हिसाब से ही कहा गया था ।
पहली पिक्चर हिट होते ही रितिक ने नेपाल के बारे में कुछ बकवास कर डाली थी, जिसके बाद वह वहाँ भारत-विरोधी दंगों का चेहरा बन गया था । Fiat Palio जैसी खूबसूरत गाड़ी तक रितिक का करिश्मा नहीं झेल पाई और 2010 में बंद हो गयी । हेरो होंडा की CBZ बाइक याद है? इक्कीसवीं शताब्दी की शुरुआत में लॉंच हुई भारत की सबसे शानदार बाइक ! लेवेल एकदम ही अलग था । फिर उसपर बैठाया गया सुपरस्टार रितिक को । 2005 तक आते-आते पूरी तरह बैठ गयी । पार्ले ने Hide N Seek बेचने हेतु रितिक और ईशा शरवानी का एक शानदार एड बनवाया । उसके तुरंत बाद बिस्कुट पर जीएसटी लग गया और 2019 आते-आते पार्ले की ही हालत खस्ता हो गयी । रितिक के प्रचार से उबरने में कोरोना संजीवनी की तरह काम आया और ब्रांड को बचा ले गया । वरना Hide N Seek का हश्र भी Tamarind, Fiat Palio और Tata Tigor जैसा हुआ होता । Tata Tigor भूल गए क्या ? टाटा की महत्वाकांक्षी compact sedan । उसे भी रितिक का झटका ज़ोर से लगा था । वैसे ‘एक पल का जीना’ में नृत्य करते हुए रितिक ने जमकर ब्रेक लगा कर अपनी मंशा स्पष्ट कर दी थी । इसलिए उसको ब्लेम करना बेमानी होगा ।
अफसोस कि S.Kumars, Fiat, HomeTrade, Tata, HeroCBZ, और Parle का हश्र देखने के बाद भी Zomato ने डुग्गू पर भरोसा जताया । उसके स्थान पर कोई धरातल से जुड़ा, धर्मपरायण, विनयशील व्यक्ति होता तो यह समझ जाता कि महाकाल से थाली मंगवाने की बात कहना नितांत घटियापन होगा, और उसपर हंगामा भी खड़ा होगा । पर उर्दूवूड के साहबज़ादों को इतना नहीं बुझाता । यही कारण है कि इन तृतीय श्रेणी अभिनेताओं और इनकी श्रेणीरहित कार्य एवं जीवन शैली के बहिष्कार की बातें उठती रहती हैं ।
वैसे हम आम हिन्दू भी कम नहीं हैं । अपने धर्म के सम्मान को लेकर हम स्वयं ही सजग नहीं हैं । चौथ माता और अम्बे वाइन नाम से शराब की दुकानें होंगी तो लोगबाग ‘अम्बे से शराब ले आ’ बोलेंगे ही । गणेश खाना खजाना पर मटन कबाब बिकेगा तो ‘गणेश के मटन कबाब बहुत अच्छे थे’ बोलने में आयेगा ही । मणिमेखलाई को अपनी फिल्म के पोस्टर पर सिगरेट पीती काली माता दिखने के लिए गरियाना आसान है । ज़ोमेटो और डुग्गू मियां से माफी मंगवाना भी आसान है । असली शक्ति तो तब दिखे जब चौथ माता, दुर्गा और अम्बे के नाम पर चल रही दुकानों के नाम बदलवा कर दिखाए जाएँ ।
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