
कविता नहीं करना कोई अपराध नहीं हो सकता-
न लिखकर पुस्तकें अलमारियों पर न लादना,
न पढ़कर उन्हें दिमाग पर कोई बोझ ही डालना,
न सुनकर किसी की बनाई दुनिया में खो जाना,
न सुनाकर उन्हें दुनियावालों को बेवजह भरमाना,
कविता नहीं करना कोई अपराध नहीं हो सकता ।
बल्कि कविता करने से बड़ा अपराध नहीं हो सकता?
अंतरंग विचारों को पन्नों पर ले छापना,
डरावनी सच्चाई को सौन्दर्य में ढालना,
कहे-अनकहे को शब्दों में गढ़ना,
वास्तविकता से परे स्वप्नलोक की ओर बढ़ना,
कविता करने से बड़ा कोई अपराध नहीं हो सकता ।
लिखा कुछ हो, मतलब कुछ और ही निकले,
जो नहीं लिखा है वह भी चितचोर निकले,
कभी तो लय और ताल के चक्कर में फसना,
कभी सारे नियम तोड़ कर यथार्थ में धंसना,
सब कुछ रोक कर तारतम्य बांधना,
दुनियादारी त्याग कर यह व्यसन पालना ,
कविता करने से बड़ा अपराध नहीं हो सकता-
ईशनिंदा, देशद्रोह, गबन, प्रेम- आजकल सब चल जाता है,
पर तू कवि क्यूँ बन गया, मुझे यह नहीं बुझाता है !
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