समाचार पत्रों को पलटिये, वे सामान्य जीवन और आम आदमी को सदैव ट्रोल करते मिलेंगे । वे सही मायनों में हास्य का पुलिंदा हैं । वैसे राजनीति और अपराध, जो अखबारों के दो प्रमुख स्तम्भ हैं, उनसे जुड़ी खबरों में हास्य, व्यंग्य, कटाक्ष, लांछन, उलाहने, तमाशा और निर्लज्जता अंतर्निहित हैं । इस कारण अधिकांश शीर्षकों एवं समाचारों को चाहे आप भावतिरेक में पढ़िये, अथवा भावशून्य होकर – वे आपको गुदगुदाएंगे, चौंकाएंगे, खिजाएंगे, चिढ़ाएंगे, और चेताएंगे । पढ़ते-पढ़ते कभी तो आप उद्देश्य पर हँसेंगे , और कभी विषय पर, कभी लेखन शैली पर, तो कभी ऐसी व्यवस्था का पोषक होने और अखबार के ग्राहक होने के कारण स्वयं पर ही । कभी कभी भाग्य पर हंसना-रोना साथ ही आ जाता है, तो कभी मनुष्य की असीम मूर्खता पर । पर ये तो खबरें हैं- बनती हीं इसलिए हैं क्यूंकी कहीं न कहीं कुछ अत्यधिक, अनावश्यक, अतिरिक्त, अल्प, अभाव या अत्याचार घटा है ।
समाचारों का संपूर्ण आनंद लेने हेतु उन्हें बोल कर पढ़ें, केवल शीर्षक पर न जाएँ, पूर्वाग्रहों को किनारे रखें तथा प्रथम दृशट्या वृतांत को उसके मूल लिखित रूप में स्वीकार करें । आपका निवेश उचित होगा, तो उत्पादन भी उत्तम होगा । जैसे गाय तसल्ली से चारा चबाती है, वैसे ही समाचारों का रसास्वादन करें । ऐसा करते समय किसी भी घटना के अपराधी एवं पीड़ित के बयान, संवाददाता तथा पुलिस की तफ़्तीश की गुणवत्ता, समाचार लिखने वाले की लेखन कला, एडिटर के निहित स्वार्थ व विचारधारा और स्वयं आपकी समझ – ये सभी कारक काम करते हैं, और सत्य को प्रभावित करते हैं, ये ध्यान रखें । अतः समाचार पत्र को भांग की गोली की तरह गटकें, ईश्वरी प्रसाद के रूप में नहीं – यह चलता साहित्य है , धर्म ग्रंथ या कानूनी दस्तावेज़ नहीं !
इतनी भूमिका बांध कर प्रस्तुत कर रहा हूँ आज के भास्कर में छपे कुछ ऐसे ही समाचार –
पहली महत्वपूर्ण खबर ये है कि सत्तावन इस्लामिक देशों में से अट्ठारह ने नूपुर शर्मा के बयान पर राजकीय आपत्ति दर्ज़ कारवाई है । काम की बात यहाँ यह है कि बाकी ऊंचालीस के पेट में कोई दर्द नहीं उठा । मालदीव के अब्दुल्लाह शाहिद संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष हैं , पर उन्होने इस मुद्दे पर टिप्पणी तक करना आवश्यक नहीं समझा । बांग्लादेश ने अब तक जितनी भी कार्यवाही हुई है, उसके लिए भारत को बधाई दी है । कुवैत ने इस मुद्दे पर प्रदर्शन करने वालों को देश से प्रत्यर्पित करने का निर्णय लिया है । कुलमिलाकर मुद्दे की हवा निकल गयी है, लेकिन मीडिया ऐसा लिखकर या दिखाकर जनता की दिलचस्पी और उन्माद कम नहीं होने देना चाहता ।
इधर मुंबई पुलिस के बाद कोलकाता पुलिस ने भी नूपुर को पूछताछ के लिए बुलाया है । पुलिस की उत्सुकता आपको गुदगुदा सी जाती है । उधर प्रयागराज की अटाला मस्जिद परिसर में स्थित तककरीबन पचास दुकानवालों ने ट्रॉलियों पर लादकर रातोंरात अपना सामान स्थानांतरित कर लिया है । बाबा का बुल्डोजर कभी भी आ सकता है । ये दोनों खबरें आपको माथा पीटने से लेकर जश्न मनाने तक की प्रेरणा दे सकती हैं ।
तीस वर्ष के एक युवक ने स्वयं को छप्पन का बताकर चौवन साल की एक महिला अफसर को ठग लिया । दोनों का प्रारंभिक संपर्क फेसबुक पर हुआ । दो बच्चों की माँ को तीस और छप्पन का अंतर तक समझ नहीं आया । दोनों ने शादी कर ली, दो साल साथ भी बताए । दूल्हे ने अपने बाप को भूतपूर्व सांसद बताया था, निकला वह भूतपूर्व कैदी । जब यह राज़ खुला तब जाकर अफसर मैडम ने धोखाधड़ी की रपट दर्ज़ कराई । फ़्रौडियाल पति मैडम के दो लाख रुपए भी खा गया । जब जवान पति पाला, तो इतना निवेश तो बनता ही था। वैसे यहाँ कहानी कुछ भी हो सकती है – पीड़िता, पुलिस, प्रेस में से कोई न कोई तो पूरी सच्चाई बयान नहीं कर रहा है ।
दो भाइयों ने उनके साथ क्रिकेट खेल रहे एक आमिर भाई की बल्ले से ऐसी धुनाई की कि उसका सिर फट गया और वह अचेत हो गया । आमिर ने इन दोनों में से क्षेत्ररक्षण कर रहे एक भाई से गेंद लाने को कहा तो वह आगबबूला हो गया, और अपने भाई के साथ मिलकर आमिर को बुरी तरह धून डाला । मामला सांप्रदायिक रंग न ले ले इसलिए केवल पीड़ित का नाम ही साझा किया गया है, दोनों लुच्चों की पहचान गोपनीय रखी गयी है । अखबार हैं, पूरी ज़िम्मेदारी से खबरें छापते हैं ।
एसबीआई का एक एजीएम धोखाधड़ी के केस में कहने को तो पिछले दो साल से फरार है , पर इस दौरान बेखौफ होकर ब्रांच में नौकरी करता रहा । पुलिस ने उसपर दस हज़ार रुपए का इनाम भी रखा, और इसकी सूचना ब्रांच को बाकायदा पत्र लिखकर दी थी । ध्यान रहे, पत्र लिखकर ! पर या तो यह पत्र रिसीव नहीं हुआ, या फिर रेकॉर्ड पर नहीं चढ़ा, ऐसा कहकर बैंक ने अपनी ज़िम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया, और मोस्ट वांटेड ड्यूटी बजाता रहा । ऐसे मामले में तो पक्का कुछ फाइलें और खुलेंगी ।
बीजिंग में लॉकडाउन हटते ही कोरोना बम पुनः फट गया है । अब दो करोड़ नागरिकों की फिर से कंपलसरी टेस्टिंग की जाएगी । इस समाचार पर आप हंसने के साथ ही रो भी सकते हैं । कोरोना का मौसम आया नहीं है, क्यूंकी कोरोना का मौसम कभी गया ही नहीं था । यह जानकारी आपको अखबार का मौसम परिशिष्ट नहीं दे पाएगा ।
भोपालवासियों के लिए एक बड़ी खबर है । तीन करोड़ रुपयों की लागत से कालियासोत पहाड़ी पर एक अत्याधुनिक सरकारी हमाम बनेगा जिसमें यूनानी पद्दति के माध्यम से उपचार किया जाएगा । आयुष मंत्रालय इस तीन कमरों वाले हमाम को बनवाएगा । इन तीन कमरों के तापमान होंगे- सामान्य, गरम और भट्टी । यह खबर पढ़कर प्राचीन रोम के हमाम याद आ गए । आम भोपालियों को क्या इन हमामों में प्रविष्टि दी जाएगी ?
अपनी बात समाप्त करूंगा एक सनसनीखेज खुलासे से – दिन के समय महिलाओं का मस्तिष्क पुरुषों की तुलना में तकरीबन आधा डिग्री तक अधिक गरम रहता है । वैज्ञानिकों को इसका कारण समझ नहीं आया तो उन्होने इसे मासिक धर्म से जोड़ दिया । वैसे हर सामाजिक समस्या की जड़ धर्म ही है ।
अखबार अवश्य पढ़ें । प्रतिदिन समय नहीं निकाल पाते तो भी सप्ताह में दो-तीन बार कोशिश करें । इससे आपका हास्य-विनोद का कोटा पूरा हो जाता है, वाकपटुता बढ़ती है, भाषा में सुधार होता है और मसालेदार खबरें पता चल जाती हैं । वरना टीवी न्यूज़ तो भरी है चाटुकारिता, चुनाव और चिल्लपौं से । उस सब से बीपी ही बढ़ना है और मनुष्य पर से भरोसा उठ जाना है । मानवमात्र में भरोसा बनाए रखने के लिए समाचार पत्र पढ़ें ।
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