
हम हर साल चौंकते हैं,
वो पूरे साल याद रखते हैं,
हम हर साल चौंक क्यूँ जाते हैं – अरे ये क्या हुआ, कैसे हुआ,
वो पूरे साल याद कैसे रख पाते हैं – अबके ऐसे ही फसाद करना है,
पत्थर जमा करते रहो, बोतलों में पेट्रोल भर कर रखो,
हम चौंकते हैं क्यूंकी हम अंधे हैं, नादान हैं, डरपोक हैं, पलायनवादी हैं,
हमें ताज्जुब होता है क्यूंकी हम याद ही नहीं रखना चाहते,
कटु स्मृतियाँ भुला देते हैं, वरना मेहनत करनी पड़ जाएगी,
समाज को राज़ी करने में, लैस करने में कमर टूट जाती है,
और दूसरी तरफ वो हैं जो तैयार खड़े हैं अपनी छतों पर लड़ने के लिए,
हाथों में पत्थर, बोतलों में पेट्रोल, ज़बान पर मजहबी नारे,
जान हाथों में लिए, मर भी गए तो जन्नत मिलेगी प्यारे,
हमें दबाने के लिए, सबक सिखाने के लिए, खड़े हैं अपनी छतों पर,
और हमे हैं कि यह भी नहीं जानते कि हम चाहते क्या हैं !
हम अपने त्योहारों की जितनी तैयारी नहीं करते,
वो हमारे त्योहार बिगाड़ने की तैयारी उससे ज्यादा करते हैं,
हमें याद भी नहीं रहता कब हैं नवमी, हनुमान जयंती,
हमारे बहुत से बंधु तो त्योहार मन जाने के बाद,
फसाद की खबरें अखबार में पढ़ कर,
व्हाट्सएप पर वीडियो देखकर जागते हैं,
फिर ऐसे जताते हैं कि अरे ये सब ऐसे कैसे हो गया,
और वो हैं कि खुल के बताते हैं कि अब से ऐसे ही होगा !
हम बच्चे पाल लें, जीवनयापन कर लें, इतना ही बहुत है,
उन्हें सब काफिरों का हिसाब करना है, ज़िम्मेदारी बहुत है,
हमें आधुनिकता का भेस धरकर पश्चिम को दिखाना है,
उन्हें और ज्यादा गैर-वाजिब होकर पश्चिम को भी दबाना है,
हम अपने धर्म और संस्कृति से विमुख हुए जा रहे हैं,
उन्हें मजहब, कौम और दीन के अलावा कुछ नहीं दिखता,
हमें भूत भूलकर, वर्तमान छिपाकर, भविष्य गोल करने की आदत है,
उनके लिए सब कुछ मरने-मारने का सवाल है, यही उनकी इबादत है .
#readiness #riots #clashofcivilizations #riots #pandemonium #hindikavita #hindipoetry #warning #lament #