मैं फोड़ूँ तो चलता है (कविता)

खबरदार रोका जो मुझे,
पटाखे फोड़ता गर दिख जाऊँ,
जीता है मेरा पाकिस्तान,
कमबख्त दिवाली थोड़ी है,

काफ़िर लाख दें जलालतें,
दो दलीलें मेरे वकील बन तुम,
था करवा चौथ भी तो,
पड़ोसी शौहर से कम थोड़ी है,

कोई न टोके, पूछे न कुछ,
लोकशाही को जिंदा रखना,
तीस बरस में आया मौका,
दिवाली तो हर बरस है मनना,

तुम छोड़ो हो धुआँ-धुआँ,
मैं करूँ तो वाह-वाह मियाँ,
तुम फोड़ो तो है धिक्कार,
मेरा बनता है जन्मसिद्ध अधिकार.


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