
जाम करने के लिए हैं, (चक्काजाम)
जाम-से-जाम करने के लिए हैं, (शराब)
दुआ-सलाम करने के लिए हैं,
नित्य काम करने के लिए हैं, (पाख़ाना)
माहौल बने तो शाही हमाम करने के लिए हैं, (स्नान)
नाटक सरेआम करने के लिए हैं, (नुक्कड़ नाटक)
चुनावी ऐलान करने के लिए हैं, (सभाएं)
सारे कायदे हराम करने के लिए हैं,
ज़मीन आसमान करने के लिए हैं, (स्पीड ड्राइव)
कुचल कर काम तमाम करने के लिए हैं, (लखीमपुर)
ऊपरवाले का एहतराम करने के लिए हैं ! (नमाज़)
पर नहीं है सड़कें,
और सड़क ही क्यूँ?
नहीं है एक सूत ज़मीन या एक कतरा आसमान भी
पटाखे चलाने के लिए,
धुआँ उड़ाने के लिए,
हिन्दू त्योहार मनाने के लिए ।
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