भोजताल (कविता)

संध्या हो गई, उसे तो होना ही था

सारी दीप्ति को तुझमें खोना ही था

तेरे किनारे जो हम निकल आए टहलने

मंद पवन में कामनाओं को मचलना ही था

जाते जाते सब रंग गए बिखर

जिधर भी देखूं तेरा प्रकाश फैला उधर

लहरों को बहना है ऐसे ही रात भर

मत्त बादल भटकेंगे कभी इधर कभी उधर

सेतु पर चढ़ कर भले कर लूँ तुझे पार

तरणी में चाहे करूँ भ्रमण बारम्बार

पहाड़ी से टकरा कर ठहर जाये ये नज़र

झील को अपलक निहारता रहेगा ये नगर    ………………………..(12) 

———————————————————————————————————————————-

#भोजताल #बड़ातालाब #भोपाल #मध्यप्रदेश #भोज #झील #झीलोंकाशहर

One Comment Add yours

  1. KK says:

    Beautiful pics 👌👌

    Like

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s