
डेढ़ साल बाद खुला पिता के घर का ताला,
बंद पड़ा था, सामान और स्मृतियों को सहेजे हुए,
हम बंदी थे दो हज़ार मील दूर
हालातों के कारावास में,
जीवन चल तो रहा था,
किराए के मकान में दिन काट रहे थे,
नौकरी में व्यस्त एवं कोरोना से बचकर,
अक्सर सोचते थे पिताजी के चित्र के बारे में,
पहरा देते-देते थक गए होंगे,
मिट्टी की चादर चढ़ गई होगी,
पिता जी को नित्य पौ फटते ही
स्नान करने की आदत जो थी
बंद घर में भला कौन नहलाए।13।
घर में ऐसा मूल्यवान तो ऐसा नहीं रखा था,
बस बरसों की गृहस्थी की स्मृतियों का अपार कोष,
धूल-धमासे से अभिशप्त नया-पुराना फर्नीचर,
खाली कमरों में डेरा जमा कर बैठे कॉकरोच-छिपकलियाँ,
ढेर सारी पुरानी किताबें ,
बिना पूजा-पाठ किए हुए विराजमान
तीनों लोकों के समस्त देवी-देवता,
कोने-कोने में रमा पिता का एहसास
मूल्यवान से बढ़कर, सब कुछ अमूल्य ।22।
पिता का घर –
जहां भले अब वे नहीं हैं, जैसे पहले हुआ करते थे,
परंतु बाहर के कमरे में उनकी एक तस्वीर रहती है,
अनंत, आनंदमयी मुस्कान,
एवं चिरसंतोषी छवि धारण किए,
युवा, प्रसन्न, स्वस्थ पिता –
जो ताजीवन पापा ही रहे, और रहेंगे
पिता बस साहित्य में हो जाते हैं ।30।
छत्तीस की आयु में बनवा दिया था यह मकान,
यही मकान जिसमे हम रहते हैं,
बहुतों ने कहा इसपर अपना नाम अंकित करवाएं,
बोले स्टेडियम थोड़ी है,
परिश्रम की कमाई और पुरखों का आशीर्वाद है,
सड़क या खेल पुरस्कार है क्या ?
मैं नेता बन गया हूँ क्या ?
शाहजहाँ भी तो नहीं हूँ,
इस तरह आज तीस बरस बाद भी
उनका नाम आवास पर कहीं नहीं है,
पर कहेंगे तो उसे सदैव पापा का घर ही ! (४१)
लोग कहते हैं तसवीरों में उनके पिता
न खाँसते हैं, न डांटते हैं,
पापा तो ऐसे भी यह सब नहीं थे करते,
प्राणवान, ऊर्जावान,
ज्ञानोपार्जन को तत्पर,
दयालु, संतुष्ट, संतोषी जीव,
कर्तव्योन्मुख, धर्मपरायण,
पारदर्शी, मृधुभाषी,
परिवार के प्रति समर्पित,
ईशसत्ता के सामने नतमस्तक एक भक्त,
कर्म को प्रभोच्छा जानकार करने वाले साधक,
कुलमिलाकर चित्र से अधिक था ठहराव ।53।
मेरे शीर्ष पर से छतरी का उड़ना हुआ,
कठिनाइयों और मेरे बीच में अब कोई नहीं आता,
प्रतिदिन अनेकानेक होता है रिक्तता का आभास,
फिर पिता जैसे ही आग्रह, व्यवहार, नित्यकर्म करने लगता हूँ
चित्र केवल रूपान्तरण भर नहीं है,
उनके समर्थन और धरण का द्योतक है,
अब मुझमे ही पिता हैं –
झलक, अनुवंश, चरित्र, प्रकृति, विचारधारा, आस्था, संस्कार,
सब वही हैं, मुझमें ही हैं
घर फिर भी उनका है
मैं भी पिता का ही हूँ ।60।
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