मैंने कहा था …..वही तो कर रहे हैं (कविता)


मैंने पहले ही कहा था
कल सुबह सूरज अवश्य निकलेगा
और देखिये
आज सुबह हुई (हुई हुई हुई – ये पत्तलकार और चमचे)
सूरज बाकायदा निकला
(हाँ निकला निकला )
पर आपने क्या किया ?
आपने भरोसा नहीं किया
न कल न आज
कि आज सूरज निकलेगा
(नहीं किया नहीं किया )
कोई तैयारी नहीं की
(नहीं की नहीं की)
आपने सोचा होगा
कि बोलता है बोलने दो
कौन सा इसके बोलने से
सूरज निकल ही जाएगा (पर निकला देखो)
पर मैंने कहा था
और मैं फिर कहता हूँ
कि बादाम लस्सी जी
कल सुबह सूरज फिर निकलेगा
(कह दिया है तो निकलेगा)
रात भर जाग कर
आप पूरी तैयारी कर लें (कर लें )
अभी चाँद निकला है
यह रात भर आसमान में रहेगा
इसको देखने में न रहें
ये भी न सोचें
कि अब यह हमेशा टिका ही रहेगा
मैंने इस बारे में
बहुत से विशेषज्ञों से
राय ली है मशविरा किया है
सुबह जब होगी
तब सूरज अवश्य निकलेगा
और अबकी बार
जब वह उदित हो
तो फिर वह अस्त न होने पाये (न होने पाये)
ये ऊर्जा/पावर का महास्रोत /सोर्स
कहीं जाने न पाये (जाने न पाये)
हमें इसे पकड़ कर रखना होगा
देश का युवा
आपसे उम्मीद लगाए है (नहीं नहीं )
आप कह दीजिये  
जो आपसे नहीं हो पा रहा हो
तो हट जाइए (हट जाइए)
किसी और को मौका दीजिये (भैया भैया)
लेकिन कैसे भी करके
कल मेरे कहने पर
जो सूरज उगे
उसे पकड़िए, थामिए, रोकिए
 

बादाम लस्सी जी (थोड़ा खिसियाते हुए मुस्कुराकर) – अरे साहब ! हम भी तो वही कर रहे हैं ! राजधर्म का पालन कर रहे हैं ।

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