दूर हटो – हम सबकी कहानियों पर तुम्हारा कोई कॉपीराइट नहीं !

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ओ दुमका वाले नीलोत्पल मृणाल भैया !

ओ एस्पिरेंट्स के लेखक दीपेश सुमित्र जगदीश जी !

दूर हटो, साला ई सिविल सेवा की तैयारी करने वालों की कहानियों के कॉपीराइट्स से ।

अब सिविल की तैयारी के लिए अगर कोई कहीं जाएगा है तो दिल्ली ही न जाएगा । आईआईटी के लिए तो फिर भी कोटा , बनारस, हैदराबाद जैसे ओपशंस हैं , पर यूपीएससी के लिए तो अकेली दिल्ली ही है । दो-चार-छ कोचिंग हैं एडमिशन लेने और मन समझाने के लिए , और दो मुहल्ले – मुखर्जी नगर, ओल्ड रजिन्दर नगर-  एवं कुछ-एक सरायें-पराएं जैसे जिआ, बेर, नेर, कटुवारिया इत्यादि । हर जगह का इकोसिस्टम लगभग एक-सा है – सब ओर कोचिंग, किताबें, ज्ञान की भरमार , आशा-निराशा और सीटों से कई अधिक संख्या में लगे पड़े एस्पिरेंट्स ।

एस्पिरेंट्स  – यही शब्द तो चुभ रहा है !

अरुणाभ कुमार और टीवीएफ़ द्वारा निर्मित इस वेबसिरीज़ की कहानी सिविल सेवा प्रार्थियों के इर्द-गिर्द घूमती है । कहानी है ओल्ड राजेंद्र नगर की , नीलोत्पल भाई कहेंगे यह तो सुपरफिशियल चेंज है । डार्क हॉर्स मुखर्जी नगर बेस्ड थी । मैं कहूँगा हद करते हैं – क्या आपने भी बस किरदार, परीक्षा और सेटिंग चेंज करके कोटा फेक्टरी , थ्री ईडीयट्स और फाइव पॉइंट समवन की नकल नहीं उतार दी । ऐसे फिर जेम्स बॉन्ड और जेसन बोर्न में क्या अंतर है ? शेरलॉक, ब्योमकेश, फेलुदा और हरक्युल्स पोइरो सब एक दूसरे की नकल , या बड़े शब्दों में कहें तो इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी वायलेशन ही कर रहे हैं  । अरे साहब कविराज जी ! हम भी पहुंचे थे किङ्ग्स्वे केंप , बत्रा पर चाय-सुट्टा पिये, किताबें खरीदे, कोचिंग में लड़कियां टापी, ओप्शनल के नाम पर खूब कटवाए, दोस्त बनाए और फिर उनको बनाया, परीक्षाएँ दीं, पास हुए, फेल हुए – ये सब मेरी ,तुम्हारी, हम सब की  कहानियाँ है  । अब हम भी लिख डालें अपनी कहानी तो आप क्या हमपर केस डालिएगा महाराज ?

 

नीलोत्पल का उपन्यास डार्क हॉर्स एक सुंदर कृति है । मैंने पढ़ा है , रिव्यू किया है और सराहा भी है । लेखन में प्रचुर ईमानदारी है । जो लिखा है हृदय से और जहां तक संभव हुआ बिना लच्छेदारी और लीपापोती के ।  औघड़ भी मुझे पसंद आया , और मृणाल के गीत तो खैर उम्दा हैं ही । चौकीदार जी की बतिया तो मैं हर कभी सुनता हूँ । नीलोत्पल एक निश्छल और सच्चे साहित्यकार हैं इसमे कोई शक नहीं है । यह कहने में भी कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि एसपिरेंट्स थोड़ा ढीला ही बन पड़ा है , सिविल्स के प्रार्थियों की लाइफ थोड़ी ज्यादा हेपेनिंग और ड्रामेटिक होती है । एक्टिंग बढ़िया है, कहानी पोची है । एसपीरेंट्स के संदीप, एसके, गुरी और अभिलाष में से ही हम और आप भी हैं , वैसे ही जैसे डार्क हॉर्स के संतोष, गुरु, रायसाहब और बिमलेंदु हम हैं । नीलोत्पल का दावा है कि उनकी कहानी के मर्म को – सेलेक्टेड है मतलब सही भी हो, ऐसा कोई आवश्यक नहीं – यही चुरा लिया गया है । यहाँ मैं इत्तेफाक नहीं रखता । न डार्क हॉर्स में ऐसा कोई सही-गलत का खेल चला, न ही एस्पिरेंट्स में अभिलाष ने दोस्तों से किनारा करके और गुरी के हेंडीकेप्ड कोटा के फर्जी इस्तेमाल पर उसे उलाहने देकर गलत किया । वेबसिरीज़ की सिचुएशन और संवाद बहुत प्रासंगिक हैं , डार्क हॉर्स से प्रेरित नहीं लगते ।

नीलोत्पल का यह कहना कि 2015 में उपन्यास प्रकाशित हुआ और 2019 में एस्पिरेंट्स की पटकथा फाइनल हुई , इससे ही यह सिद्ध हो जाता है कि दीपेश जगदीश की एस्पिरेंट्स की पटकथा डार्क हॉर्स पर आधारित है । यह बहुत बचकानी बात है । जाने कितने होपफुल्स की यही कहानी है – मैं तो 2005-06 में ही एक संदीप भैया से बिलकुल मिलते-जुलते पात्र से मिल लिया था । 2013-14 में राहुल भैया के सौजन्य से जनरल केटेगरी की अधिकतम आयु का बत्तीस होने और दो अतिरिक्त एटेम्प्ट्स का लाभ उठाने वाले 3-4 अफसरों को तो मैं स्वयं ही जानता हूँ । इसीलिए तो ये कहानियाँ जननिधि हैं, किसी के दिमाग की उपज नहीं ।

अंत में यही कहूँगा कि एस्पिरेंट्स कोटियों तक पहुंचा, डार्क हॉर्स सहस्त्रों तक पहुँच पाया होगा । देश में लोग पढ़ते कहाँ हैं, उसमें भी हिन्दी तो एकदम ही नहीं । थोड़ी बहुत चिल्लपौं करके अगर डार्क हॉर्स की रीडरशिप बढ़ सकती है तो हर्ज़ क्या है ? अरुणाभ को भी नीलोत्पल के इस खेल को खेलना ही पड़ेगा । लेकिन नीलोत्पल भाई , कॉपीराइट वायलेशन का मुद्दा तो यहाँ जमेगा नहीं । खुद भी तो आपको तीस परसेंट ही मटिरियल कामन लग रहा है, फिर क्या हर्ज़ है ? साथ-का फोटो साझा करके किसी को चोर मत कहिए, अगली बार साथ बैठाएगा नहीं । वैसे वह आदमी जिसका फोटो आप शेयर करके पब्लिसिटी बटोर रहे हैं , अरुणाभ कुमार, क्या वह बाबाधाम का शिवलिंग है कि आप विषपान करवाते जाएँ और वो करता रहे? ये कुटिल बुद्धि आपकी नहीं लगती नीलोत्पल भाई, लगता हैं कोई आपको मिसगाईड कर रहा है । वैसे जानकार आश्चर्य हुआ कि स्वयं यूपीएससी की तैयारी करने और बरसों की लंबी तैयारी के बाद भी जगदीश ने ऐसी सामान्य स्क्रिप्ट लिखी । इससे बहुत बेहतर किया जा सकता था । अरुणाभ तुम्हें स्वयं ही नीलोत्पल का डार्क हॉर्स पढ़ना चाहिए था और उनसे ही पटकथा भी लिखवानी चाहिए थी । खैर अब अगली वेबसिरीज़ में कोलेबोरेट कर लेना ।


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