
बिजली का बिल माने शैतान का फरमान !
भरे बिना मुमकिन कहाँ शायर का गुज़ारा,
ख्याल आयें भी तो पन्नों पर उतारूँ कैसे?
रूह मेरी रोशन है, कमरे में छाया अंधेरा ।4।
रात-भर रखा जेहन में दबा महफूज समझकर,
मतले का हमने बना डाला कश्मीरी पुलाव,
बिजली का अदना-सा बिल ही तो ठहरा ग़ालिब,
भरते रहने पर दुनिया में रौनक आबाद रहेगी ।8।
ये हमारी चाकरी में लगे हुए एसी-टीवी-फ्रिज,
खुशगवार मौसम से ही अल्फ़ाज़ों में रवानी है,
धड़कनें इनकी किसी हालत में थमने न पाएँ,
मातम नहीं मनाना है तो तुरंत बिल भरना ही होगा ।12।

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