संचार क्रांति के इस युग में
मैं महज एक वोटर नहीं रहा;
सोशल मीडिया के आगमन के साथ ही
मेरी मासूमियत जाती रही;
तटस्थ रहना हर काल में अपराध था,
पर अब भी विचार न रखना, रख पाना,
मेरी जड़ता का द्योतक होगा ।7।
बिना कहीं की प्राथमिक सदस्यता
गृहण किए भी मैं एक सिपाही हूँ;
हर समय, प्रतिदिन- तैनात, मुस्तैद;
शत्रु का मेसेज चमका नहीं,
कि मैंने पलटवार किया नहीं;
हर हमले का माकूल जवाब देना,
भले उससे कोई हानि नहीं हुई हो,
अपना उत्तरदायित्व समझता हूँ ।15।
जो मैं सरकार का समर्थक हूँ
तो प्रधान सेवक मेरे हृदय हैं,
गृह मंत्री का मैं वामहस्त हूँ,
सत्तारूढ़ दल का मस्तिष्क,
पार्टी प्रवक्ता का मुखारविंद,
यहाँ तक कि अफसरशाही का पैरोकार,
और हर नीति का बिगुल मैं ही हूँ ।22।
इन गणमान्यों की आन-बान-शान का रक्षण,
हर नीति, हर चाल, कर्म-अकर्म-दुष्कर्म का-
कभी न्याय, कभी राष्ट्रहित,
तो कभी चुनावी मजबूरी के नाम पर
तन्मयता के साथ प्रचार-प्रसार-हमला-समर्थन;
ये मेरी तुच्छ निद्रा से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है;
चाहे इन्हीं महानुभावों को
इतना अधिक लोकतन्त्र खलता हो
आखिर हर पाँच सालों की अल्पावधि में
होने वाले चुनावों में
बहुमूल्य समय जो व्यर्थ होता है ।33।
(ये समय जो नष्ट न होता ,
तो आज मैं भी चीनी होता)
सरकार का विरोधी हूँ तो हर समय सवाल हूँ,
चलते-फिरते टाइप करते, करता रहता बवाल हूँ,
राजनैतिक साईबर वर्ल्ड में उठा रहा उबाल हूँ,
केग, कोर्ट और विपक्षी नेताओं से अधिक,
मचाए रखता धमाल हूँ ;
देश में कुछ ठीक नहीं – न नीति, न नीयत,
मेरा चैट-युद्धरत रहना,
अनवरत ट्वीट प्रक्षेपण,
सत्तापक्ष द्वारा फैलाये जा रहे दुष्प्रचार को
काटते रहना, मेरी मजबूरी है-
यह वक्त की पुकार है , भागवत का सार है ।44।
(नाम पर न जाएँ, आपदा धर्म नाम से बड़ा है )
कहने की आवश्यकता नहीं
कि किसानों, छात्रों, दलित, युवाओं,
आदिवासियों, मजदूरों, महिलाओं, गरीबों से
जुड़ा हुआ हूँ सोशल मीडिया पर,
मुझे सब ज्ञात है –कब, कौन, कहाँ,
क्या हुआ, कैसे हुआ, और होगा ?
लसोड़े किस-किसके लगे थे,
लहसुन कितने में था बिका,
चीन सीमा पर कहाँ है खड़ा,
इसीलिए दिन-रात ज्ञान औंकते रहने में
मुझे न कोई संकोच है,
न किसी प्रकार की लज्जा का एहसास,
बल्कि सच कहूँ तो ऐसा करके
मैं शून्यता में प्रासंगिकता को प्राप्त होता हूँ ।58।
कार्यकर्ता, नेता, मंत्री, संतरी –सब सो भी जाएँ,
मेरी अंगुलियाँ आंदोलित,
मैं सदैव उद्विग्न रहता हूँ…….
…….हर समस्या पर चर्चा, उसका निवारण,
आरोप-प्रत्यारोप, और फिर प्रोपेगेण्डा,
यहीं होगा – मेरी मोबाइल स्क्रीन पर !
यही कुरुक्षेत्र, पानीपत, वाटरलू है ।66।
ध्यान रहे – मेरे मोबाइल पेक में डेटा का अभाव
या फिर कनेक्टिविटी में व्यावधान,
अगर मेरी राजनैतिक सक्रियता में आड़े आया,
तो फिर इस सर्विस प्रोवाइडर को जाना ही होगा;
पोर्टिंग करा लेंगे – किसानों से पूछ कर ही लेना जियो !
कहीं टावर फूँक देने की तैयारी में न हों,
कुत्ते वाले नेटवर्क की समस्या ये है-
कि कुत्ता बड़ा सोणा है, पर सिग्नल नदारद हैं;
मेरा हवन सिम कार्डों पर निर्भर न रहे,
सोचता हूँ काश तरंग ही बन जाऊँ।76।
सत्तापक्ष सत्ता का भोग करता है,
विपक्ष को विरोध का रोग होता है,
पैसा आता है, जाता है ,बँटता है,
देश चलता रहता है,
मैं बड़ी शिद्दत से मोबाइल रिचार्ज करवाता हूँ,
करवाना वैसे अपने दिमाग का इलाज़ चाहिए ।81।
#सोशलमीडिया #एडिक्ट #ट्विटर #ट्रोल
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