बीस-इक्कीस (कविता)

जिस वर्ष अवगुंठन अनिवार्य हुआ,

जिस वर्ष छुआछूत पुनः स्वीकार्य हुआ,

जिस वर्ष काढ़ा-योग शिरोधार्य हुआ,

जिस वर्ष सूक्ष्म शत्रु दुर्निवार्य हुआ,

जिस वर्ष अभिमानी प्रवासी उपकार्य हुआ,

जिस वर्ष हर नीम-हकीम औषधाचार्य हुआ,

जिस वर्ष हर मानव उपचार्य हुआ,

जिस वर्ष जीवित रहना भी सफल कार्य हुआ ;                        (8)

इस क्रुद्ध वर्ष को भी था बीत जाना , अपरिहार्य हुआ ;                 (9)

अब नव वर्ष में करें उन्मुक्त आलिंगन,

दिल खोल कर करें स्वछंद विचरण,

यह नव वर्ष हो घुमक्कड़ी के नाम,

इस नव वर्ष में आवारगी हो सुबह-शाम,

गाड़ तम्बू करें खुले में नैसर्गिक सहवास,  

नव वर्ष में खुलकर लें जीवनदायिनी श्वास,

ध्यान रखें स्वास्थ्य का, करते रहें योग ,

साथ में चलता रहे मनोरंजन और उपभोग ।                         (17)


#2020 #2021 #वेक्सीन #घुमक्कड़ #आवारगी #मास्क

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