इतना न पुकारो इक्कीस को, जाता हुआ बीस अकड़ जाए,
इतनी न पालो उम्मीदें , नवागंतुक आते-आते ठिठक जाए।2।
मत दोष मढ़ो यूं साल पर सारा, घड़ी नहीं बिदक जाए,
हैं दोनों (20-21) समय ही –एक प्रवृत्ति, महाठगबंधन न बन जाए।4।
खिंच न जाए ये दिसंबर ,जनवरी स्थगित न हो जाए,
जंच जाये समय को कहीं अगर दोनों का विलय न हो जाए।6।
बहुत कोसा है वर्तमान को, अब आए जल्दी नववर्ष आए,
पर ध्यान रहे जाते-जाते कहीं बीस चपत लगा जाए।8।
देख विलायत की हालत आशा कैसे अब पल जाये?
भारी-भरकम पैरों वाला पूत (2021) पालना झुलता जाये।10।
नहीं छोड़ अब समय पर सब कुछ मानव कंधों पर डल जाये,
जो किए हैं वादे वैक्सीन के , इक्कीस में शायद मिल जाये ।12।
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