केस चल रहा है किसी कोर्ट में ,
केस अब चलेगा जीवनपर्यंत,
केस चलते रहने के लिए ही दायर किए जाते हैं,
केस लड़ते-लड़ते जो थक जाएँ वे कायर कहे जाते हैं ।4।
सात बरस से रेंग रहा है,
कहाँ तक पहुंचा अश्वत्थामा?
यहीं-कहीं , कहीं नहीं ,
घूमघामकर फिर वहीं,
बह रहा है केसफ़ाईल से,
रक्त,पीप, स्वेद,
बरसों बाद आज जज ने पूछा है,
क्या उपयुक्त लगाए हैं अनुच्छेद? (12)
अभियोग अगर है अश्वत्थामा,
तो अभियुक्त है कौन?
कौन है? यह सवाल है सर्वथा गौण।
यह पूछो न्यायमूर्ति क्यूँ हैं चिरकाल से मौन?
वकील है कि बोलता है तो बोलता ही चला जाता,
अर्थ-असर उसकी बातों का कुछ समझ नहीं है आता,
जिरह को टालते हुए आज जज भी दिया मुस्कुरा,
केस को अगली तारीख तक के लिए फिर दिया टरका।20।
केस कलुषित रक्त है इस काले कोटतंत्र में,
सज़ा से पूर्व ही नरक है भारतीय लोकतन्त्र में,
बहता है अनवरत नसों-नाड़ियों धमनियों-शिराओं में,
चलते ही जाता है अदालतों की अंधी गुफाओं में ।24।
ठोक सकते हैं किसी पर कोई मुकदमा, कभी भी,
इसी दम पर तो बज रही है खाकी प्रजाति की दुंदुभि,
बहुतेरे ब्यूरो,सतर्कता,निर्देशालयों का अस्तित्व है,
जो फस गया इनके फेर में उसके जीवन पर स्वामित्व है।28।
आता रहेगा प्रतिवादी जूते घिसते नाक रगड़ते,
चाहे रहें गवाह गायब या बयानों से मुकरते,
सबूत चाहे हों अस्वीकार्य किसे पड़ी है ?
ज़िंदगी की गाड़ी किसकी बरसों से खड़ी है?
समय होगा तो जिरह करेगा सरकारी वकील,
मन होगा तो जज साहब सुनेंगे आपकी दलील,
कितने अवकाशों,कितनी हड़तालों से गुजरेगा ये केस,
लड़ने वाले का अंततः बदल चुकेगा भेस!
उम्मीद यही है की न्यायमूर्ति को फिर भी है निपटान दिखाना,
पर कोटधारी वकीलों को केवल है अपना चेक भुनाना। 38।
#कोटतंत्र #खाकीप्रजाति #रकत्पीपस्वेद #कानून #केस #delayedjustice