मैं हूँ झण्डा,
मैं ही सिपाही,
भगवा लहू,
भगवा स्याही । 4।
अब भय न तेरे डंडे का,
इस रामविरोधी अजेंडे का,
जो मन में आए पूरी कर,
तू भगवा-विरोधी कार्यवाही ! (8)
जब-जब ये अस्थियाँ चटकेंगी,
जय जय श्रीराम ही गरजेंगी,
बहते हुआ शोणित में भी,
उबाल पैदा कर देंगी ।12।
जब कभी तू थक जाएगा,
अगर किसी दिन रुक जाएगा,
उस दिन मेरा लहू बोलेगा,
इतिहास के कच्चे चिट्ठे खोलेगा । 16।
उस दिन की तू कर फिकर,
कहीं जगह न होगी छुपने की,
जब भगवा सिर चढ़ बोलेगा,
जब तेरा सिंहासन डोलेगा । 20।
जब रामनाम ही गूँजेंगा बस
राम नाम रह जाएगा,
जब हाथ उठेगा भगवाधारी का,
सारा अतिक्रमण ढह जाएगा ।24।
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