शूल सी चुभ रही ये चुप्पी (कविता)

शूल-सी चुभ रही ये चुप्पी !

सवाल पूछती, जवाब तलाशती ये चुप्पी ! (2)

है उन भालों-सी कटीली,

जो घमासान में खुलकर चले। 4।

है उन पत्थरों-सी पैनी,

जो सैनिकों पर काल बन बरसे।6।

है उन शिलाओं-सी नुकीली,

जिन पर धक्कामुक्की कर रहे,

हिन्दी-चीनी चोटियों से गिरे।9।

है उन तानों-सी तल्ख,

जो चमनों-चंगुओं ने,

नेता, देश, सेना पर कसे।12।

है उस गलवान की तरह ठंडी,

जिसने कितने ही जवानों को,

अपनी शीत में जमा दिया।15।

है उस घाटी की तरह चीखती,

जिसमे मल्ल-युद्ध करते,

योद्धाओं की आहें-ललकारें निकलीं होंगी ।18।

है उन पार्थिव शरीरों-सी शांत,

जिनके प्राणों को संतोष है,

कि मातृभूमि के लिए निकले ।21।

ये चुप्पी अब शूल-सी चुभने लगी है,

भारतमाता को असह्य लगने लगी है,

निर्जन पहाड़ियों में अब गरजना ही होगा ,

चीन पर कोप बन बरसना ही होगा ।25।

(चुप्पी फिर भी चुप्पी है , देखें कब तक टिकती है)


#हिंदीचीनी #भारतचीन #गलवान #लद्दाख

#indiachina #galwan #strikeback

One Comment Add yours

  1. Tyree says:

    Wow that was unusual. I just wrote an extremely long comment but
    after I clicked submit my comment didn’t appear. Grrrr…

    well I’m not writing all that over again. Anyway, just
    wanted to say superb blog!

    Like

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