(गुलबखस,चौसा,तोतापरी,दशहरी -clockwise)
लदे पड़े हैं पेड़ों पर,
मेरी थाली में आम नहीं,
गुलाब खस कहाँ चले गए,
चौसों का नामोनिशान नहीं,
तोतापरी भी चल जाता,
दशहरी हर्ष लेकर आता,
बादामी अब तक दिखा नहीं,
केसर का वक्त अभी हुआ नहीं,
अब लंगड़ा खाने को ज़िंदा हैं,
नहीं हसरत रख शर्मिंदा हैं,
बिका अगर जो मंडी में,
होगा मेरी थाली में आम वही,
क्यूँ इच्छा लेकर मरना यारों,
अगर आम से मरना, आम सही।
(लंगड़ा,बादामी,केसर,हिमसागर – clockwise)