किम् – क्या और कौन ?

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(किम्-संस्कृत अर्थ – क्या , कौन सा)

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किपलिंग का किम् गरीबों से भी गरीब एक अनाथ था , एक आइरिश सिपाही का लड़का जो ब्रिटिश हिंदुस्तान में पैदा हुआ था ।

किम् की चर्चा होने पर मुझे किपलिंग के पात्र का स्मरण अवश्य होता है । पर यहाँ बात उस किम् की नहीं है ।

 

उत्तर कोरिया का किम् ,किम् का पुत्र और किम् का ही पोता भी है ,या था । कोरिया के किम् के पास बम,तोपें,फाइटर जेट,मिसाइलें,रॉकेट और परमाणु हथियार हैं जिन्हे वह जब-तब उड़ाता-चलाता-फोड़ता रहता है । विशेष अवसरों के उपलक्ष्य पर किम् सफ़ेद घोड़े पर सवार होकर पवित्र सफ़ेद पहाड़ पर चढ़ता है । किम् के पास बड़ा-चौड़ा हरम है , अनाप-शनाप हराम का माल है और अव्वल दर्जे का हरामखोर वह स्वयं तो है ही ,उसके आसपास वाले भी हैं जो उसे सत्ता में बनाए हुए हैं । किसी करीबी से खफा हो जाये तो उसे तोप से उड़वा दे , किसी पर भी दिल आ जाए तो अपने महल बुलवा ले ।

 

किपलिंग का किम् तेशू लामा नाम के एक तिब्बती का चेला बन कर यहाँ-वहाँ बहुत भटका था । कोरिया के किम् की नारंगी बालों वाले अमरीकी डींगमार तुरुप के इक्के से बहुत छनती है । चीन के सम्राट सी जिनपिंग को तब उस तिब्बती से भी समस्या रही होती  , और आज नारंगी बालों वाले अमरीकी डींगमार तुरुप के इक्के से तो है ही । डींगमार को एक मीटिंग में ही किम् इतना भा गया कि उसने उसे स्मार्ट और ग्रेट की उपाधियों से लाद दिया । शायद तब ही से किम् के दुर्दिन शुरू हो गए ।

 

ऐसा सुनने में आ रहा है कि कोरिया का किम् मर चुका है । कहीं खबर है कि वह मिसाइल परीक्षण के दौरान चोट खा गया है । कोई बोल रहा है कि कोरोना से संक्रमित हो कर परलोक सिधार गया है । एक थियरि यह भी है कि अपने  ही एक अंगरक्षक के कोरोना से संक्रमित होने के बाद बचाव के तौर पर किम् ने खुद को आइज़ोलेट कर रखा है । जो भी हो ,दुनिया फिलहाल किम्कर्तव्यविमूढ़ (किंकर्तव्यविमूढ़) हो कोरिया प्रायद्वीप की स्थिति पर दृष्टि गड़ाए हुए है ।

 

अखिल विश्व में कोरिया के किम् से जुड़ी किम्वदन्तियों (किंवदंतियों अर्थात legends or लोकल भाषा में legendaries) का बाज़ार गरम रहा है , और आज की तारीख में तो किम-सर्च वाइरल है । किम्-किम् रटते-रटते मेरे मस्तिष्क में ऋग्वेद का नासदीय सूक्त गूंजने लगा है –

 

 

नासदासीन्नो सदासात्तदानीं नासीद्रजो नोव्योमा परोयत्।

किमावरीवः कुहकस्य शर्मन्नंभः किमासीद् गहनंगभीरम् ॥ (ऋग्वेद 10:129)

 

इस जगत् की उत्पत्ति से पहले ना ही किसी का आस्तित्व था और ना ही अनस्तित्व ।
तब न हवा थी, न आकाश था और न उसके परे कुछ ।

चारों ओर समुन्द्र की भांति गंभीर और गहन अंधकार के आलावा कुछ नहीं था।

( कुह ) किस देश में ( कस्य + शर्मन् ) किस के कल्याण के लिये ( किम + आवरीवः ) कौन किस को आवरण करे। इस लिये आवरण  भी नहीं था। (किम् ) क्या ( गहनम् ) ( गभीरम् ) गभीर ( अम्भः ) जल ( आसीत् ) था ? वह भी नहीं था । कुछ नहीं था तो उसका आवरण भी नहीं था । जब आच्छाद्य नहीं था तब आच्छादक का भी अभाव था ।

 

कहाँ से कहाँ की बात निकल आई!

 

वैसे किम् एक कोरियन सरनेम है जिसका अभिप्राय स्वर्ण से हैं । किम् जोंग उन और उसका जीवन भी है सोने जैसे खरा, चमकीला और शानदार । अगर वह है तो शोक का कोई कारण नहीं , और नहीं भी रहा तो चिंता की कोई बात नहीं । उत्तर कोरिया में किम् के बाद किम् को ही आना है ।या तो तानशाह दो-चार दिन में प्रकट हो ही जाएगा , और नहीं हुआ तो उसकी बहन किम् आकर शासन, मिसाइलें और बम संभाल लेगी ।

पता नहीं चीन के सम्राट को कोरिया में किम्(कौन सा) किम् स्वीकार्य है।

कौन जाने नारंगी बालों वाले अमेरिकी डींगमार तुरुप के इक्के को कितना पता है ?

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  1. gnandu says:

    👌🙏

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