ले चल मुझे,
उस किनारे पर,
जहां से दिखता हो,
उसका रंग-बिरंगा मकान ।4।
हवा बोली –
मैं जहां भी जाऊँ,
साथ चला-चल,
बंद कर आँखें,
फिर खोल उन्हें,
झपक पलक,
पलक झपक,
देख ले उसका,
रंग-बिरंगा मकान ।13।
वह घर में है,
पर दिखती नहीं,
मैं दिखा भी नहीं सकती,
पर महक ले उसे,
जहां चम्पा मिले,
वही मादक महक,
उसका एहसास है,
पानी की लहरें हिलें,
समझ लेना मुस्कुराई,
चेहरे पर झोंका लगे,
उसका सँदेसा मैं लाई।30।
रंग-बिरंगी मुस्कान है उसकी,
रंग बिरंगा मकान,
रंग बिरंगे सपनों वाली,
मेरी प्रेम की दुकान,
हवा साथ है मेरे लहरें,
चम्पा में बसता घ्राण, (घ्राण-नाक)
न दिखे तो प्रेयसी,
जो दिख जाये तो प्राण।38।