यह ज्ञानपथ, यह प्रेमपथ,
यही कर्मपथ, कर्तव्यपथ,
महामना के स्वेद से
सिंचित हुआ जो धर्मरथ,
गुरु त्याग के मानक जहां,
शिष्य लें समर्पण की शपथ ।6।
कृष्णचूड़ा की लहू-लालिमा में
आल्हादित,उन्मादित यह विजयपथ,
काशी की अनुपम धरोहर का
यह स्वर्णिम चित्र है उद्धृत,
बाबा विश्वनाथ की असीम अनुकंपा से
सदैव उल्लासित यह पुण्यपथ।12।
(चित्र व्हाटसप पर प्राप्त, विश्व-विद्यालय और उससे जुड़ी स्मृतियाँ मेरी अपनी इन पंक्तियों की तरह )
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