उम्मीद-
एक आसरा है,
आस्था का पर्याय,
आखिरी दांव ।
वह है तो जीवन है,
जब तक सबल ,
जिजीविषा प्रबल,
उम्मीद उड़नछू
तो जीवन त्रिशंकु ।9।
उम्मीद –
किसी से भी हो सकती है ,
पाल सकता है कोई भी ,
यह वक्त बताएगा,
अच्छे दिन जब आए, तो
क्या-क्या खिलौने लाये,
किस-किस को खिलाने आए,
किसकी कायम रही, किसकी
उम्मीदों पर हो गया
तुषारापात ।19।
उम्मीद –
कहाँ तो बैंकों से रखना बेमानी,
पुलिस जब चाहे करे मनमानी,
और कहीं कतारबद्ध हो
श्रद्धापूर्वक खड़े इस आस में ,
कि कचरे की गाड़ी वाला ,
लेकर आयेगा अच्छे दिन ,
कुछ खाने को बांटेगा ,
जब पूरे होंगे पेट में जाकर,
इनकी भूख , उसके वादे,
अनवरत चलते रहने के इरादे ।30।
उम्मीद –
कभी तो सच बोलेंगे टीवी चैनल ,
किसी रोज़ तो कलम उगलेगी सच्चाई,
अदालत पहुँचकर मिल जाएगा इंसाफ ,
डॉक्टर तो हमेशा देगा सही दवाई ,
पंडित मंत्र सही पढ़ रहा है ,
अध्यापकों के हाथों में सुरक्शित है पढ़ाई ,
जिस दिन टूट गयी ये उम्मीदें ,
समझ लेना कचरा-गाड़ी वाले की
शामत है आई ।40।
उम्मीद –
इसलिए कि
कोई फेंकता है तो कोई बीनता है,
खाना वही जिसे कोई खाद्य समझे,
पैसा वही है जो बैंक को मान्य हो ,
ईश्वर है, क्यूंकी हम उसे मानते हैं,
पता वही सही जिसे ढूंढते हुए
गंतव्य तक पहुँच जाएँ,
रास्ता वही जो कहीं पहुंचा दे ,
उम्मीद वही रास्ता है ,
रखे रहिए ,
बिल्ली के भागों छींका ज़रूर टूटेगा ,
दूध की भगोनी कभी तो पलटेगी ,
ऐसा नहीं भी हुआ ,
तो विकल्प क्या है ?
नाउम्मीद , निराश जीवन में
आखिर रखा क्या है ? (57)
So beautifully written and the flow is such that it can take you out to all those events which has almost passed through your life … god bless you for penning down such true facts in a lucid way ….. Jai Mai Ki
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