जैसे ही यू.पी. के खनन विभाग के डीएमओ केके राय ने सोनभद्र में सोने के विपुल भंडार होने की खबर साझा की , वैसे ही ट्विटर यूनिवर्स में बाबा को लक्की करार देने की होड़ मच गयी । आखिर बाबा के ही कार्यकाल में राम मंदिर पर अंतिम फैसला हुआ है ,और मंदिर बनेगा भी । और उसके बाद आशातीत मात्रा में इस स्वर्ण भंडार की खोज हो जाना !
सपोर्टर लोग कहने लगे कि अभी तो राम मंदिर का उद्घोष भर हुआ है ,और देखिये राम राज्य का आगमन भी हो गया । बाबा ने हालिया दंगों के दौरान राक्षसों को कैसे हौंका-हौंका कर खदेड़ा था , और फिर उनके द्वारा किए गए नुकसान की एवज में उनसे ही वसूली भी कर डाली । सरकारी खजाने और संपत्ति की इतनी कदर देश में पहली बार हुई है , इसीलिए लगता है प्रभु ने रिवार्ड के तौर पर सोन पहाड़ी और हरदी ब्लॉक को स्वर्णमय कर दिया । वैसे भी रामचन्द्र जी अपना मंदिर बनवाने के लिए सरकार और जनता के कलेक्शन पर थोड़े ही निर्भर रहने वाले थे , लगता है उन्होने खुदए अपनी व्यवस्था करवा दी है । ट्विटर पूर्णतया भक्तिमय था , जैसा हमेशा ही हो जाया करता है ।
केके राय ने घोषणा करते समय कोई कोताही नहीं बरती । वर्तमान में भारत के पास महज सवा छ सौ टन स्वर्ण भंडार है , जबकि सोनभद्र में तीन हज़ार टन बताया गया । भारत सोने की चिड़िया फिर से बनेगा ऐसा उद्घोष हो गया । विश्वगुरु है , यह तो हम पहले ही मान चुके हैं । यूनानी महागप्पी हेरोड़ोटस की सोने की मिट्टी खोदकर फेंकने वाली कुत्ताकार चींटियाँ याद आ गयी । कहीं कपोल-कल्पित माने जाने वाले उसके इतिहास में कुछ सच्चाई तो नहीं थी ? रोम से आने वाले वह व्यापारी बेड़े जिनसे हमारे पूर्वज सिर्फ स्वर्ण ईटों में भुगतान लिया करते थे उनका भी स्मरण हो चला ।
हमे कुछ-कुछ इतना भी समझ आया कि गोल्ड रिसर्व के आधार पर मुद्रा की कीमत निर्धारित होती है , तो शायद रुपये की हालत में भी कुछ सुधार हो । लगने लगा कि अब हम गरीब नहीं रहेंगे , भले ही हमारे किसान भुखों मरते रहें और निर्यात भी तेज़ी से न बढ़े । तिजोरियों भले खाली हों , सोनभद्र की सोना पहाड़ी मे तो सोना ठसाठस भरा है । हम हो गए कामयाब …..
समृद्धि के चर्चे सुनकर कुछ भुक्कड़ों ने ट्विटर पर ही 15 लाख की पुरानी डिमांड निकाल दी । इन लोगों के पेट राष्ट्रभक्ति से कभी नहीं भर सकोगे । हर्षोल्लास में कल इनको भी हंस कर टोलरेट किया जा रहा था । कुछ न कुछ उम्मीद तो सबके ही दिलों में जागी थी । बाबा की किस्मत से जल रहे कुछ हेंडल यहाँ तक कह गए कि नेहरू जी ही गाड़कर गए थे , और बाबा ने वही सोना ढूंढ निकाला है । अगर कोई ऐसे क्लेम नहीं भी कर रहा था , तो भी आँखों में सोने की चमक से अंधे हुए भक्तगण ऐसे तीक्ष्ण बाण चला रहे थे । किसी ने यह भी दम भरा कि बाबा और साहब का ज़माना है तो इतना सोना होने पर भी सुरक्षा की कोई चिंता नहीं है । इन्दिरा के कहे पर जयगढ़ किले के खज़ाने की तथाकथित लूटमार का ज़िक्र ऐसे समय में हो ही जाता है ।
कहाँ आपके जमाने का छोटा सा कोलार और कहाँ राम राज्य में अवतरित हुआ सोनभद्र । दीवानगी मदहोशी में बदलने लगी जब पुछल्ले में यह खबर भी पढ़ी कि ढेर सारा यूरेनियम भी मिलने के पूरे आसार हैं और जल्द ही इसकी घोषणा होगी । दिल से निकल ही गया – अब बस भी करो , यू पी ! अच्छी खबरें पचाने की भी सीमा है हमारी !
तो खैर यह खबर भी न हमसे पची, न ही जीएसआई से । एक ही दिन में सारी खुशी काफ़ूर हो गयी । जीएसआई (GSI) के जल्लादों ने तीन हज़ार टन की घोषणा से पल्ला झाड़ लिया । केके राय ने न्यूनतम 3300 टन सोने के भंडार बताए थे , अब GSI 160 किलो मिलेगा इसपर भी शंकित है । सोने का पहाड़ जो हमको असली सोने का दीखने लगा था , अब पुनः कंकड़-पत्थर का हो गया है । कहाँ चला गया सारा सोना ? कौन उड़ा ले गया ?
ऐसे मदोन्मत्त माहौल में हरीराम नाई और उसके इकसठ पिट्ठूओं का ख्याल न रहा । आजकल पूरा दल ही बहुत हनुमानमय हो रहा है , यह थोड़ा अटपटा ज़रूर था । पर सोच नहीं पाये कि ये लोग हनुमान को ही रामराज्य में डाका डालने भेज देंगे । इन दिल्ली वालों ने मुफ्त का बिजली-पानी बहुत बांटा है , इनका खज़ाना खाली है ऐसा ज़रूर सुना है । बंगाल में भी अगले बरस चुनाव हैं ,फ्री गिफ्ट बांटने के लिए पैसा तो इनको भी चाहिए । वैसे भी इस देश में नीरव मोदी और विजय माल्या सरीखे चिरकुट चोर हर गली में बैठे हैं । क्या पता इनमे से ही कोई सोना लेकर निकल लिया हो ? या फिर केके राय हो ही अव्वल दर्जे का फर्जी ।
जो भी हो , दिल तो सबका ही टूटा है । आखिर सोना पहाड़ी का सोना कंकड़ हुआ है ।