आँखें बंद करके चाय पीने का सच

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फुर्सत अपनी आँखें बंद किए बगैर चाय के घूंट नहीं ले पाता  ।

 

पूछने पर कभी यह कहकर टाल देता है कि आँखें बंद कर लेने से उसे चाय में हीक नहीं आती , तो कभी कहता है कि पलकों के पर्दे गिराकर वह उनपर शोले के बच्चन को चुसकियाँ लेते देखता है ।

 

अब इसे उसकी मजबूरी समझें या कलाकारी ,फुर्सत आँखें बंद करके फुर्ती से चाय गटकने के लिए इलाके में मशहूर था । पर आज दिन में देखा कि हुल्लड़ मचा रही भीड़ में कुछ लोग उसे उठा कर अस्पताल ले जा रहे थे । कौतूहलवश मैं भी दौड़ कर वहाँ पहुंचा तो पता चला कि फुर्सत आज गलती से अपने कान से चाय पी गया है ।

 

जैसे ही भीड़ ने डाक्टर को केस समझाया , उसने पल्ला झाड़ लिया । “मैं तो आँखों का डाक्टर हूँ। जे को मेरे पास काहे लाये हो ?”

“बीमारी भी तो आँखें बंद करके चाय पीने की है”, एक बुढ़ऊ ने फूंका ।

“अरे पर चाय तो कान पी गयो । आख्याँ की तो कोई खता ना हैगी जामे । जे को कान के डाक्टर के पास ले जाओ ”।

 

नारे लगाती , गालियां बकती , पत्थर-सरिये हाथ में लिए उन्मादी भीड़ कान के डाक्टर के पास पहुंची ।

“अब तो कान चाय पीगौ, अब ना वापस आ री चाय”, डाक्टर बोला ।

वही वाला बुढ़ऊ अब गरज कर बोला  – “ डांग्दर साहब, कान सलामत चाहिए , चाय का रीफंड लेवे नहीं लाये जे फुर्सत को । और जो कान ठीक न हुआ तो……” ।

 

इतना सुनकर डाक्टर ने फुर्सत को एक ज़ोर का तमाचा जड़ा । “बोलता क्यूँ नहीं बे ? सुन तो सब रहा है तू ।”

“साहब मैं बहुत डरा हुआ हूँ , सहमा हुआ हूँ । मैं एक अमनपरास्त इंसान हूँ । आजकल CAB के नाम पर हर जगह NRC का डर दिखाया जा रहा है । भीड़ बहुत उन्माद में थी । नारे लगाए जा रहे थे । सबके हाथों मे भाटे और सरिये थे । मैंने सोचा कुल्हड़ से चाय पीते-पीते चुपचाप हुल्लड़ का मज़ा लूँगा । पर चाय बहुत वाहियात बना दी थड़ी वाले ने । घूंट पीकर कुल्ला भी न करते बना तो मैंने  चाय ढ़ोल दी । बस तभी पता नहीं कौन उड़ा दिया अफवाह कि मेरे कान में चाय चली गयी है ” ।

 

“बलवा रुकवा दिये फुर्सत भाई आज तुम अपने कान को चाय पिलाकर”, डाक्टर सयानेपन में बोला । “ अरे सर , वैसे खबरें भी मैं आँखें बंद करके ही पढ़ता हूँ । और सुनता कान बंद करके हूँ । ये जो गुंडे मेरे साथ आए हैं,भीड़ का हिस्सा बनके, ये न मेरे हितैषी हैं, न किसी और के हो सकते हैं । इन्हे बस बसें जलानी है, आपके कपड़े फाड़ने हैं और अस्पताल में तोड़ फोड़ मचानी है । फिर आपसे पैसे लेकर अपना उल्लू सीधा करना है । आप फस गए हैं इनके, CAB और NRC के चक्कर में , और अब आप इस चंगुल से निकल नहीं सकते । खर्चा दे दो इनको , बस इतना याद रखना कि फुर्सत चाहे  आँखें बंद करके चाय पीता हो या खोल के  , है बेचारा एक डरा हुआ अमनपरस्त इंसान ” ।

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