अभी-अभी दो पिल्लू घर पर आए, दरवाजा खटखटाया , घंटी बजाई । मैं बाहर निकला तो हैलो, गुड आफ्टर्नून,हॅप्पी दिवाली, हाउ आर यू बोलकर अंदर घुस आए ।
सोफ़े पर आसन जमाया , बैठक लगाई , फिर अपनी बात बढ़ाई।
सालों की उम्र बचपन की, बातें –हरकतें पचपन की ।
बोले- इंकल इशकुल में बोला है पटाखे नहीं चलाने को , इससे पलुशन होता है , धुआँ -धुआँ हर तरफ , कीड़े-मच्छर मर जाते हैं ,डोग्स को डर लगता है , काऊज को खांसी आती है । आवाज़ भी बहुत होती है , पिछले साल मेले पापा के कान के पर्दे फट गए थे । टेम्परेचर तेजी से बढ़ रहा है , आइस मेल्ट हो जाएगा , सब कुछ खतम, सब डेड – यू, अस एंड पापा-मम्मी । ग्रीनहाऊस का भी लफड़ा है । ग्रेटा बहुत गुस्सा होती है ।
किसी कानवेंट स्कूल में पढ़ रहे हैं , मैं भी पढ़ा था । कुछ नहीं हो सकता हमारा । स्लो पोईसन लेना ही पड़ेगा इनको भी , मैंने भी तो सालों लिया था ।
मैंने पूछा बोयज़ जानते हो जिस दिन से पैदा हुए थे उसी दिन से मौत तुम्हारा पीछा कर रही है , वह तो एक दिन पकड़ ही लेगी, उससे क्या डरना । जब तक है तब तक तो उल्लास से जिया जाये । पटाखों के फ़ेवर में इनको समझाने के लिए वैसे मेरे पास कुछ था भी नहीं ।
यह सुनकर दोनों पिल्लुओं के चेहरे विकृत हो गए । एकस्वर में चीखे – हाऊ डेर यू ? केनसल कर दिया जाएगा पटाखे चलाओगे तो । कल ही हो जाएगा । तुम भी और हम भी । परसों तक मर भी जाएंगे आपण लोग धुएँ से ।
फिर हँसते हुए मैंने उन्हे सच्चाई बता दी कि उनके पापा-मम्मी छुप-छुप के सिगरेट पीते हैं (आई डोंट नो, दे माइट बी स्मोकर्स ) और बड़ी कारें दौड़ाते हैं , और स्कूल के फादर के फादर के तेल के कुए हैं ,रहीम चचा का पेट्रोल पंप हैं और हम सब मिले हुए हैं जी । पूरा का लाइफस्टाइल प्रदूषण बढ़ा रहा है । सारा सिस्टम लिप्त है ।
यह भी क्लीयर कर दिया कि मैं पटाखे शायद न भी चलाता क्यूंकी मुझे यह टोटल बेवकूफी का काम लगता है , अगर तुम्हारे पापा , फादर, रहीम चाचा और तुम पिल्लुओं ने मुझे ज्ञान न बांटा होता । और अगर मुझे हिन्दू होने पर गर्व न होता , या शायद शर्म महसूस होती। या अगर वाल्मीकि या तुलसी के राम ने पटाखे चलाने से मना किया होता , तो फिर न भी चलाता । पर अब…..
चलो भागो चू…..गेट द फक आउट …
शाम को आने का वादा करके गए हैं । ”पापा-मम्मी को मत बताना , हम भी आपके साथ रॉकेट छोडने के आएंगे । दिवाली पर दिल खोल के आतिशबाज़ी चलाएँगे ।”
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Hahahahahahahahaha 😀😀😀 too much sir ,please write in pillu’s language more often
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