इसमे सोनाक्षी का क्या दोष है कि संजीवनी बूटी के कुछ साइड एफफ़ेक्ट्स हैं । इस औषधि का नाम लेने भर से ही स्मरण शक्ति और विवेक का ह्रास होने लगता है । ऋश्यमूक और किष्किंधा के वनों में प्रवास करने वाले और ताजीवन कंद-मूल-फल का आहार लेने वाले बजरंग बली क्या संजीवनी बूटी को नहीं पहचानते रहे होंगे ? पर गंतव्य पर पहुँचकर क्या बूटी की शिनाख्त कर पाये ? बस राम का नाम लिया और सारे पर्यावरण और भूगोल को धता बता कर पूरे का पूरा पहाड़ ही उठाकर लंका ले उड़े । पहाड़ पर रहने वाले जीव-जंतुओं के हितों का भी हनुमान को ध्यान नहीं रहा ।
सोनाक्षी के भ्राताओं के नाम लव और कुश हैं , और बाप का नाम है शत्रुघ्न । बाप के तीन बड़े भाई हैं – राम , लक्ष्मण और भरत । सिन्हा परिवार जिस घर में रहता है , उसे रामायण कहता है । वैसे न रामकथा में कोई रह सकता है , न किसी धर्म ग्रंथ में । घर का नाम साकेत, अयोध्या या ईक्ष्वाकू प्रासाद रख देते तो कदाचित बेहतर रहता । खैर बात इतनी सी है कि अमिताभ बच्चन के श्रीमुख से संजीवनी का उल्लेख सुनकर अगर सोनाक्षी यह भूल गयी कि हनुमान किसके उपचार के लिए उसे लिवाने गए थे , तो इसमे झोल ज़रूर उस बूटी का है । वन केन ब्लेम इट ऑन ईदर द हॉट सीट ओर द बूटी !
यहाँ सवाल यह भी उठता है कि एक सेकुलर देश के एक राष्ट्रीय चेनल पर एक राष्ट्रनायक धर्मग्रंथ से जुड़े हुए सवाल पूछ ही क्यूँ रहा है ? क्या ऐसे ही सवाल अमीर हमज़ा ,पीटर,पॉल,अब्राहम,जिबरील, ऋषभदेव और आगा खान के बारे में भी पूछे गए हैं ? सोनाक्षी के चाहने वालों में हर धर्म के लोग हैं । ऐसे में उसने ठीक ही किया किसी एक धर्म से जुड़े सवाल का उत्तर न देकर । वैसे भी हाऊ अनकूल इज़ इट टू बी अवेर ऑफ मिथोलोजिकल क्रेप ? उसके पापा एक समय राम मंदिर के समर्थन में लोक-सभाएं किया करते थे । बेटी को रामकथा का अंदाज़ा वैसे अवश्य होगा, बस कोई मजबूरी रही होगी जो सोना बेबी ने इस सवाल का जवाब एक्सपेर्ट से पूछ कर ही दिया ।
आम हिन्दू यह नहीं जानता – समझता लेकिन रामायण के कई संस्करण हैं । दक्षिण-पूर्व एशिया की कुछ रामायनों में तो हनुमान को गृहस्थ भी माना गया है । सोनाक्षी एक पढ़ी-लिखी जानकार लड़की है – हो सकता है उसने ए.के.रामानुजन का लेख ‘300 रामायण – 5 उदाहरण और 3 विचार’ पढ़ा हो । हो सकता है उसे लगा हो कि कहीं अमिताभ अंकल कोई ट्रिक सवाल तो नहीं पूछ रहे ? कहीं किसी थाई या बंगाली रामायण में राम या फिर हनुमान ही को तो मूर्छा नही हो गयी थी ? हनुमान को ही हनुमान के लिए बूटी लेने भेज दिया हो – अवतारों में आस्था रखने वाला धर्म में सब कुछ संभव है – सब कुछ माया ही तो है ! ऐसे में सोनाक्षी ने फोकट में बैठकर नोट कमा रही और पोपकोर्न खा रही एक्सपर्ट से सलाह करके ठीक ही किया । हमे यह भी नहीं भूलना चाहिए कि उसके बगल में बैठी कर्मवीर कंटेस्टंट रुमा देवी, जो कि एक एनजीओ, ग्रामीण विकास चेतना संस्थान चलाती हैं (जिसने 22000 महिलाओं को रोजगार देने का काम किया है),को भी सवाल का उत्तर ठीक से नहीं पता था । किसी की दिलचस्पी उस महिला को ट्रोल करने में नहीं है ! अगर बाड़मेर जैसे छोटे शहरों में रहने वाले भी अब रामकथा भूलने लगेंगे तो धर्म कैसे बचेगा ? इसीलिए मैं इस सवाल पर हुई गफलत (बच्चन के सामने बैठकर दबाव भी आता होगा )के लिए सोना को कम और रुमा देवी को अधिक जिम्मेदार मानता हूँ ।
सुना है एक जमाने में सोनाक्षी बहुत मोटी हुआ करतीं थीं । फिर योगाभ्यास और व्यायाम करके अपना वज़न कम किया । भुजंग आसन पीठ के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है और इसके बारे में शायद हर कोई फिटनेस एन्थूजियास्ट जानता होगा । शत्रु जी की लाड़ली ने कोबरा के बारे में सुना तो है ही , उसे ज़ू में देखा भी अवश्य होगा । कोबरा एक किस्म का साँप है , यह भी वह जानती होंगी ।यहाँ तक ठीक है पर यह उम्मीद रखना कि उसे यह पता होगा कि भुजंग साँप का पर्याय है , यह सिर्फ बोलता हुआ हिन्दी-संस्कृतवादियों का अहंकार है । सोनाक्षी को देख-सुनकर वैसे यह लगता नहीं कि उसे अङ्ग्रेज़ी और उर्दू के व्यायाम के नाम भी पता होंगे, तो भेदभाव का सवाल नहीं उठता । इसलिए भुजंगासन की जानकारी न होने का अपराध भी उसको माफ करता हूँ !
लेकिन जो हल्कापाना भुलाए नहीं भूल रहा और जिसकी सजा जूतम पैजार से कम नहीं है , वह है राणा प्रताप के अस्तित्व से ही अनभिज्ञ होना । अमिताभ ने सवाल किया कि राणा प्रताप कौन से मुग़ल बादशाह के समकालीन थे । सोनाक्षी को लगा उत्तर है औरंगजेब । ऐसी हगास चलती है जब आप कचरा खाते और पढ़ते हो । तब पूनम सिन्हा ने बताया कि जोधा-अकबर में वह अकबर की माँ बनी थीं और उसमे एक केरेक्टर राणा प्रताप के नाम से भी था । बस वहीं मेरे सब्र का बांध टूट गया और धाराप्रवाह गालियां बहने लगीं । यह हाल है इन चवन्नी-बटोर माँ-बेटी का – बाप राष्ट्रवादी बना फिरता था , फिर दिमाग सटक गया और राष्ट्रवाद के खिलाफ ही बकता रहा पूरे पाँच साल । कैसे अपने बच्चों को ये भी नहीं पढ़ाया/बताया कि प्रताप और शिवाजी कौन थे ।
सोनाक्षी ने लगे हाथ रुमा देवी (कंटेस्टंट) को अपनी तरह का आचीवर बता दिया , धंधे को लेकर सलाह दी और उसका ब्रांड एम्बेसेड़र बनने का प्रस्ताव भी रख दिया । सांस्कृतिक महत्व के सवालों के गोलमोल जवाब देकर सोनाक्षी ने फिर यह घोषणा भी कर डाली कि बाप का नाम रोशन कर देने के पश्यात उसका आलरेडी जीवन सफल हो चुका है । वैसे यह भी सच है कि अगर शत्रुघ्न कि बेटी न होती तो सोनाक्षी से न मटके बनते , न झटके लगाने का मौका मिलता । यह हम भारतवासियों का किया-धरा है जो वंशवाद को बढ़ावा देते हैं और सफल लोगों की बेअकल , नाकाबिल ,मूर्ख औलादों को भी सरआँखों पर बैठाये घूमते हैं ।
I needed to thank you for this wonderful read!!
I absolutely enjoyed every little bit of it. I have
got you saved as a favorite to look at new things you bookmarked!!, I like your website!
Its like you learn my mind! You seem to understand a lot about this, like you wrote the e book in it or something.
I feel that you simply can do with some % to force the message house a bit,
however instead of that, that is great blog.
An excellent read. I’ll definitely be back. http://hats.com/
LikeLike
Way cool! Some extremely valid points! I appreciate you penning this article plus the rest of the website is also very good.
You made some decent points there. I looked on the web for additional information about the
issue and found most people will go along with your views on this website.
Saved as a favorite, I love your website! http://cspan.net
LikeLike