प्रचार के दौरान मिमियाते हुए ही नहीं,
आसन्न पराजय के सिर पर मंडराने से भी नहीं ,
उसका नासिका-क्रंदन एक अनवरत प्रक्रिया है,
नेताजी को मानो वर्बल डायरिया है ।1।
ज़बान करेले-सी कड़वी न होती तब भी ,
सूरत सड़े बैंगन-सी न होती तब भी ,
मन बहुत मैला ,रक्त विषैला है ,
हाय ,इसका उद्बोधन कितना कसैला है ।2।
दिन-रात कोसता है वोटिंग मशीन को ,
कभी चोरी हो गईं चिल्लाता है ,
कभी खुद ही उनको हैक करवा कर,
विधान सभा में दिखलाता है ।3।
रोज़ चुनाव प्रक्रिया में कोई नुक्स निकालता है ,
हर मोड़ पर लोकतन्त्र को फर्जी बताता है ,
जनादेश को कटघरे में घसीटने का मुकदमा है तैयार ,
रेजरी की किताब में यही है लोकतांत्रिक व्यवहार ।4।
जिस राह पर रोज़ था थूकता,
आज उसी पर ज़बान रगड़ता है ,
जिन्हे गाली देते न थकता था ,
(अब) उन्हे देश का गौरव बतलाता है ।5।
बहुत रोया-गाया ,खूब चीखा- जम कर चिल्लाया,
किसी को मनाने हेतु कहाँ-कहाँ नहीं ढोक लगाया,
फिर भी जब किसी खास ने मुह नहीं लगाया,
तब उसी को प्रधान रिपु का मुख्य साझेदार जा बताया ।6।
अपनी कोई गलती के लिए वह कभी जिम्मेदार नहीं होता ,
अनशन-धरना मोड़ से वह कभी बाहर नहीं होता ,
गांधी टोपी लगाकर जो लाला-साहूकार बन बैठा,
रेजरी की रेवड़ियों का बंद कभी बाज़ार नहीं होता ।7।
जो अफसरों को घर बुलाकर गुंडों से ठुकवा दे,
हर चुनाव के मौके पर खुद को थप्पड़ जड़वा दे,
अपनों की बदनामी करने को चिट्ठियाँ बटवा दे,
और जब रंगे हाथों पकड़ा जाये उसे साजिश बतला दे ।8।
यह नाजी खाल में गांधीवादी,
बैंगन भेस में अंडा सड़ा हुआ ,
हर भाव,हर भंगिमा में इसकी ,
एक लकड़बग्घा है छिपा हुआ ।9।
जो सत्ता उसकी है नहीं ,उसे वही चाहिए ,
(खुद के )ब्रह्मवाक्य पर मिटने वाले मूर्ख चाहिए,
वह कह दे जिसको चोर ,उसी को फांसी हो जाये,
जिस गद्दे पर लेटे (धरना हेतु) ,वही भारत की गद्दी हो जाये
।10।
Yaar you are a genius.
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