रॉस द्वीप हो गया सुभाष का ,लगे पछत्तर साल,
अब बोस खड़ा पूरब में प्रहरी,काटने चीन की चाल,
केवड़िया में सरदार खड़ा है ,करके सीना चौड़ा,
चला गौरी, चला गजनवी , मैं दे रहा हूँ पहरा ।1।
पर क्यूँ राम सेतु राष्ट्रीय धरोहर बना नहीं,
क्यूँ राम मंदिर पर काम चालू हुआ नहीं,
एक अनचाही मूर्ति की घोषणा हुई है ज़रूर,
क्यूँ प्रभु को गरम -ठंडे में रखने का है शऊर ?(2)
सवारी अभी भी पहुँचती है मुग़लसराई ही,
ट्रेन भले दीन दयाल जंक्शन में जा टिकती हो,
बिरयानी बच गई दुर्भाज्ञनगर की होने से,
नेतराम कचौड़ी वाला अब भी इलाहबाद में ही है । 3।
आज तक राजीव चौक किसी का गंतव्य नहीं हुआ,
दिल्ली मेट्रो नियमित रुकती है वहाँ पंद्रह सालों से,
पर कनॉट का सर्कस अभी तक राजीव को मिला नहीं,
एक पेंशन योजना में अटल -राजीव का गठबंधन हुआ है । 4।
मुझमे-तुझमे भी कुछ मुगलिया खून ज़रूर होगा,
यही होता है जब नस्लें ग़ुलाम हो जाती है,
भाषा तो खैर अब देश में इंग्रेज़ी ही बची है,
हिन्दी-संस्कृत-उर्दू अब लिखता-बोलता कौन है ? (4)
बदलना है तो भाषा की ग़ुलामी को बदल हुक्मरां,
कुछ लौटाना ही है तो मुझे मेरी ज़बान लौटा दे,
संस्कृति ऋणी रहेगी जो भी सरकार करे उसी की,
मेरी खोई हुई हिन्दू सभ्यता और संस्कार का संरक्षण कर । 5।
#रद्दोबदल का अर्थ – झगड़ा-टंटा, उल्टा-पलटी
#शऊर- तरीखा
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