श्रीप्रकाश शुक्ल -कितना रंगबाज़ ,कितना भौकाली ?

रंगबाज 2018

द्वारा

भाव धूलिया

श्रीप्रकाश शुक्ला अपने गाँव में पहलवान था ,उत्तर प्रदेश को भयाक्रांत कर देने वाला हैवान तो वह बाद में बना । केरियर का पहला कत्ल उसने अपनी बहन को छेड़ने वाले का किया था । यह खून  वैसे तो उसे माफ होना चाहिए था,पर हुआ नहीं ,और वह भाग निकला  बैंकॉक । जब वहाँ से लौट कर आया तो परिपक्व  हो चुका था । थाईलैंड यही करता है आपके साथ – आपकी जठराग्नि को प्रबल बना देता है । बीस-बाईस साल के युवा गोरखपुरिया में ऐसी  उत्तेजना भर गई  कि उस पर  सब कुछ और बहुत जल्दी  छीन लेने का भूत सवार हो गया । शुक्ला के ग्राफ को देखकर समझ आता है कि ही वास इन ठू मच हरी एंड वास आउट ऑफ कंट्रोल । उसका टिकना मुश्किल ही था ,हाँ रह जाता तो आज राजनीति में बड़ा नाम होता ।

तिग्माँन्शु धूलिया रमाशंकर तिवारी के किरदार में हैं जो कि एक ब्राह्मण डॉन है । रंगबाज़ में वही शुक्ला की शुरुआत में मदद करता है ,बैंकॉक भेजता है और हत्या के केस दबवाता है । सिरीज़ में यह स्पष्ट तौर पर कहीं नहीं दिखाया गया है की आखिर शुक्ला और तिवारी में मतभेद क्यूँ उभर आते हैं । और वो भी ऐसे कि दोनों एक दूजे के खून के प्यासे ! सिरीज़ में यह भी स्पष्ट नहीं है कि आखिर तिवारी और चन्द्र भान में क्या मनमुटाव है –शायद जातिभेद ,लेकिंन दर्शाया नहीं गया है ।

(रमाशंकर तिवारी शायद हरिशंकर तिवारी पर आधारित है लेकिन हरिशंकर ने वास्तविकता में श्रीप्रकाश की कभी कोई मदद नहीं की थी । बल्कि आखिर में तो शुक्ला हरिशंकर को ही ठिकाने लगाकर उनकी विधान सभा सीट हथियाना चाहता था ।)

खैर रंगबाज़ में रमाशंकर से पंगा लेकर श्रीप्रकाश बिहार में मोकासा के डॉन चन्द्र भान (असल में सूरज भान ) के निकट आता है । रविकिशन के द्वारा निभाया गया यह किरदार हमेशा ही श्रीप्रकाश के समर्थन में खड़ा नज़र आता है । धूलिया और रविकिशन ने अपने अभिनय से समा बांध दिया है । साथ में रणवीर शोरी भी है जो कि आईपीएस पांडे  के बहुत ही प्रभावशाली किरदार में है ।

आईपीएस राजेश पांडे ने बहुत ही चातुर्य और कौशल से श्रीप्रकाश को दबोचा था । सन 97-98 में श्रीप्रकाश मोबाइल के इस्तेमाल से पुलिस को चकमा देकर निकल जाया करता था पर मोबाइल के सरविलांस के बूते ही आखिर उसको ट्रेक किया जा सका । दारोगा आरके सिंह ने भी एंकाउंटर के वक्त छ गोली सर मे और दो सीने में खाईं ,पर शुक्ला को घायल करके उसे अंत तक दबोचे रखा । पर कहाँ हम ऐसे वीर और कर्तव्यपरायण पोलिसवालों के पराक्रम को सम्मान देते हैं । समाज को तो माफिया डॉन और गुंडों कि कहानियाँ ही लुभाती हैं ।

यहाँ पर साकीब सलीम ने भी बढ़िया काम किया है । 25 बरस की उम्र में 25 के आसपास मर्डर करने वाला  अपराधी भी कैसे इश्कमिजाजी किया करता था ,और अपने परिवार से जुड़ा हुआ था ,यह सब साकीब ने बढ़िया से जताया है । लेकिन गुस्से में पहला खून करने वाला श्रीप्रकाश एक खूंखार अपराधी कैसे बन गया ,यह रंगबाज़ में उभर कर नहीं आता । और यह भी नहीं कि आखिर क्यूँ उसे इतनी जल्दी है ,और कुछ दिन वह अंडरग्राउंड नहीं हो सकता था  । शायद कोई कह भी नहीं सकता ।

कहानी सत्यता से अधिक दूर नहीं है । किरदारों के नाम भी थोड़े ही बदले गए हैं – श्रीप्रकाश को शिवप्रकाश , हरिशंकर को रमाशंकर ,सूरज भान को चन्द्र भान और राजेश पांडे को सिद्दार्थ पांडे । शुक्ला का मोबाइल प्रेम और उसी की ट्रेकिंग से उसका पकड़ा जाना ,हरिशंकर के साथ रेलवे के ठेकों को लेकर  उसकी खटपट ,भारत में पहली दफा किसी STF का गठन, डॉन पर दबाव बढ़ाने के लिए सुहैब इल्यासी के  इंडियाज़ मोस्ट वांटेड में उसकी कहानी का प्रसारण आदि सब सत्यता पर आधारित हैं ।

ऐसे में एक सवाल यह भी उठता है कि क्या श्रीप्रकाश ने सीएम  कल्याण सिंह की ही सुपारी उठा ली थी ? इस बात का प्रचार-प्रसार साक्षी महाराज ने किया था कि शुक्ला ने छ करोड़ कि सुपारी ली है । याद रहे साक्षी और कल्याण दोनों लोध जाति के नेता हैं और वैसे साक्षी का अपराध,कानून और सनसनीखेज बयानबाजी से बहुत गहरा नाता रहा है । ऐसे में साक्षी महाराज के किसी भी बयान को अटल सत्य नहीं माना जा सकता ।  संभव है श्रीप्रकाश ने सुपारी उठाई हो क्यूंकी वह सरफिरा तो था ही  ,या यह भी हो सकता है कि उसके एंकाउंटर का दबाव बनाने के लिए यह खबर अखबारों में प्रकाशित कराई गयी हो । जो भी हो यह तो तय है कि शुक्ला हरीशंकर तिवारी (उस समय कैबिनेट मिनिस्टर ) को मारकर चिल्लूपार से विधायक बनना चाहता था ।

इस सिरीज़ में मिर्ज़ापुर कि तरह कोई कम्पौनडर नहीं है जो उस्तरे से गले काटने में आनंद की  अनुभूति करता हो ,न ही कोई वासेपुर का फैजल खान है जो सनक में गाली और गोली बरसाता रहे । हिंसा ,खून और गालियों का उतना ही प्रयोग है जितना कि आवश्यक है ,सेक्स का तो है ही नहीं । उसकी जगह शुक्ला और अहाना कामरा के बीच में प्रेम प्रसंग है जो सिर्फ मोबाइल के बूते ही आगे बढ़ता है । लगातार चलने वाला यह वार्तालाप  कभी कभी बहुत चाट भी हो जाता है । इस सिरीज़ में  कोई भी किरदार चीखता-चिल्लाता ,होहल्ला करता नज़र नहीं आता । लेकिन यह भी कहा जाएगा कि सिरीज़ में श्रीप्रकाश का भौकाल भी बनता नज़र नहीं आता ।

इस सिरीज़ की तुलना मैं कबीर कौशिक की फिल्म सहर से नहीं कर रहा हूँ । कारण यह कि श्रीप्रकाश के किरदार को उसमे ब्राह्मण न दिखा कर गजराज सिंह नाम दिया गया था  जिससे गोरखपुर और पूरे उत्तर प्रदेश के जातीय समीकरण ही गड़बड़ा जाते हैं और कहानी समझ पाना कठिन हो जाता है  । सुशांत सिंह ने गजराज और अर्शद वारसी ने आईपीएस अजय कुमार के तौर पर दमदार अभिनय किया था ,लेकिन फिल्म को शुक्ला का बायोपिक न मानकर उसके जीवन से प्रभावित ही मानना चाहिए ।

कुल मिला कर क्या रंगबाज़ देखने लायक है ? इसका जवाब है –एकदम है  । न सिर्फ साकीब ,तिग्मांशू,रणवीर शोरी और रविकिशन की खातिर बल्कि श्रीप्रकाश के लिए भी ! कई मायनो में यह सिरीज़ सेक्रेड गेम्स और मिर्ज़ापुर से बेहतर भी है ।

यहाँ यह भी कहना होगा की श्रीप्रकाश का जितना  वास्तविक आतंक था,उसका हौव्वा उससे कुछ ज्यादा ही  बड़ा बन गया है । गोरखपुर या फिर कहें पूरे यू पी में ही वह शायद आखिरी ब्राह्मण डॉन था ,इसलिए ज़ाहिर है की युवा वानाबी ब्राह्मण लफाड़ी लौंडे उसे किसी क्रांतिकारी से कम नहीं मानते  ।  उसके मारे जाने के बाद ब्रजेश सिंह,मुख्तार अंसारी और बाद में आदित्यनाथ ने गोरखपुर की कमान संभाली और ब्राह्मणों का वर्चस्व समाप्त हो गया । हाँ हरीशंकर तिवारी और अब उनके पुत्र विनय शंकर लंबे अरसे से विधायक हैं ,लेकिन आज तो गोरखपुर का अस्सल डॉन योगी ही है । यही कारण है कि शुक्ल के कारनामों से ज्यादा खूंखार उसका लेजेंड बन गया है ।

जानकार लोग बताते हैं पहलवानी करते हुए  साथियों ने उसको इसलिए पीट दिया था क्यूंकी गैर -ब्राह्मण गुरु के चरण स्पर्श करना उसे गवारा नहीं था । यू पी को जातिवादी हवा कुछ ऐसी ही है । किस बहन को छेड़ा गया ,यह भी कोई ठीक से नहीं जानता । दरअसल ये सब बहाने हैं ,जिसे क्राइम की दुनिया में उतरना होता है ,वह उतर ही जाता है । सुपारी वाली बात तो वैसे भी फर्जी ही लगती है । साक्षी महाराज जैसों का कोई भी बयान महत्व नहीं रखता । पर फिर भी उस अंचल ,समय और परिदृश्य पर बनी वेबसेरीस देखने में मज़ा तो है ही ।

2 Comments Add yours

  1. . says:

    I have read so many articles or reviews regarding the blogger lovers except this article is truly a fastidious paragraph, keep it up.

    Like

  2. Bill says:

    I have been surfing online more than three hours today,
    yet I by no means found any fascinating article like yours.
    It is lovely value sufficient for me. In my opinion, if all
    site owners and bloggers made excellent
    content material as you probably did, the
    internet will likely be a lot more helpful
    than ever before. It is the best time to make
    some plans for the future and it’s time to be happy.
    I’ve read this post and if I could I want to suggest you some interesting things or tips.

    Perhaps you can write next articles referring to this article.
    I desire to read more things about it! Greetings from
    Colorado! I’m bored to tears at work so I decided
    to check out your website on my iphone during lunch break.

    I really like the info you provide here and can’t wait to take
    a look when I get home. I’m amazed at how fast your blog loaded on my phone ..
    I’m not even using WIFI, just 3G .. Anyways, very good site!

    http://vans.com

    Like

Leave a comment