भाग्यनगर –दुर्भाग्यनगर : चलो बदलें नाम (कविता)

भले हैदराबाद में नहीं चली, पर बुलंदशहर में चल गयी थी,

उड़ेल रहे थे नफरत जो ,वो गोली बनकर निकली थी,

बिरयानी दक्षिण में पकी नहीं,न फतह हुई न होनी थी ,

भाग्यनगर फिर बना नहीं ,इस शहर की किस्मत अच्छी थी । 4।

मुस्लिम था या हिन्दू था ,वो पुलिसवाले का हत्यारा ,

कसाई था ,या गौरक्षक ,या  गायों ने ही दे मारा ?

था नेता कोई, अभिनेता ,या कोई  स्वांग रचने वाला ,

या था कोई ज़िंदा लाशों की सौदेबाजी करने वाला ? (8)

अब भाग्यनगर तो  बना नहीं , जनता ने मौका दिया नहीं ,

सौभाग्य का जोखिम लिया नहीं,पर विचार अभी तक मरा नहीं ,

यूं  बुलंद हुआ दुर्भाग्यनगर ,फिर नामकरण क्यूँ  किया  नहीं ,

वो गाय किसी ने काटी नहीं ,वो पुलिसवाला भी मरा नहीं ! (12)

कभी वाक् दंगल ,कभी नाम बदल ,

कभी गीदड़ भभकी ,यूं उछल-उछल ,

ये झूठ-फरेब का कोहरा अविरल,

सर्वत्र अभद्र बोल का कोलाहल ।16।

भीषण जंगल ,कैसा दलदल ये,

सत्ता की है उथल-पुथल ,

कभी यहाँ हाथ ,कभी वहाँ कमल ,

कभी छुटपुट दंगा ,कभी दावानल ।20।

हैदराबाद में टंगी नहीं ,पर बुलंदशहर में टंग गयी थी ,

गौशालाएँ तुमसे खुली नहीं,घर में ही गायेँ कट गईं थीं,

पड़ताल ठीक से हुई नहीं ,गिरफ्तारियाँ यूं टल गईं थीं ,

रेलियाँ तुम्हारी थमी नहीं ,हर तरफ बस हलचल थी ।24।

भूखी थीं सो चर गईं खेत ,गायों की क्या गलती थी,

मत नहीं दिया तो नहीं दिया,किसान की जैसी मर्ज़ी थी ,

इतने तेवर ठीक नहीं, पब्लिक की ज़िम्मेदारी नहीं बनती थी,

अब गया है समय बदल ,ऐसी अकड़ कभी नहीं चलती थी ।28।

भाग्य कहो सौभाग्य कहो, नगर की रंगत नहीं बदलनी थी ,

बुलंदशहर बना दुर्भाग्यनगर ,वर्दी वाले की जान निकलनी थी ,

हिन्दू-मुस्लिम जात-पांत और गाय-बैल के फेरे में

इतना जहर उबल रहा है ,कभी तो गोली चलनी थी ।32।

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#भाग्यनगर #हैदराबाद #बुलंदशहर #आंध्र

#तेलंगाना  #गौरक्षा

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