भक्त का रक्त था बह निकला
आँसू तो न निकले आह निकली
प्रभु नहीं मिलेंगे इल्म हुआ (इस बार सरकार नहीं बनेगी)
जनता ये बहुत जालिम निकली
देशभक्ति का तोड़ किसान हुआ
वो कहता है लागत न निकली
डेव्लपमेंट की काट बेरोजगार हुआ
निराशा है वेकेंसी नहीं निकली
सवर्णों को संख्या का गुमान हुआ (तथाकथित)
नोटा की धमकी नहीं थोथी निकली
गा-गा रटने का नुकसान हुआ
आवारा बन खेतों में चर निकली
क्या बंध गए हैं अश्वमेध के घोड़े
क्या फिर यज्ञ का अवसान हुआ
सत्ता मे कोई न स्थिर हुआ
हर एक केवल मेहमान हुआ
स्थिर तो जनमानस भी नहीं
जो वादा करे वही भगवान हुआ
ये वादे पूरे कभी होते नहीं
कौन खेती करके धनवान हुआ ? (20)