कब्रिस्तान का चौकीदार (कविता)

नाम से लगता था

मानो ‘कब्रिस्तान का चौकीदार’

रामसे ब्रदर्स की कोई फिल्म होगी;

पर अब जबकि हर दिन

चौकीदार और उसके कुत्तों पर भी

आरोप पर फर्जी आरोप मढ़े जा रहे हैं ,

ऐसा प्रतीत होता है कि इस कब्रिस्तान का चौकीदार

हिंदुओं का कोई बेचारा भगवान है ,

क्यूंकी उन्हीं पर ऐसे लांछन लगाने की छूट है ,

आखिर उन्हीं में मौजूद सारे मानवी खोट हैं ।10।

आरोपबाजों को इनाम मिल जाता होगा जनेहुधारी आकाओं से ,

आवाज़ उछाल दी जाती है ज़ोर-शोर से मीडिया में ,

जमकर शेयर हो रहे हैं फर्जी भाषण सोशल मीडिया पर,

झूठ से नेतागिरी चमक उठती है झटके में ,

ये ज़रूर कोई मेहनतकश इंसान होगा ,

ये ज़रूर कोई औचक निरीक्षण करने वाला हैवान होगा,

न गोत्र बड़ा  ,न जाति ऊंची, न खानदान महान ,

पर चौकीदार का जीवन लगता है कर्मप्रधान  ,

तभी इतनी शिद्दत से नेता-अफसर उसे गरियाते हैं ,

बड़ी गलती कर बैठे ऐसा तन-मन-धन से मनाते हैं ,

उसके माँ-बाप -भार्या को दंगल में घसीटा जाता है ,

क्यूँ ऐसे किसी कामगार को पीटा जाता है ?

आखिर कैसे कोई इस सिस्टम को बदलने चला है ,

ये कैसी धृष्टता है ,ये कैसा हौंसला है ? (24)

सारे नामदार ,बड़े परिवारवाले लामबंद हो गए हैं ,

अबकी घात लगाकर करेंगे एक ईमानदार का शिकार ,

गाली,फरेब,धर्म,जाति ,लफ़्फ़ाज़ी -सबका इस्तेमाल होगा ,

संख्या गणित व रसायन से होंगे लोकतन्त्र  पर मारक प्रहार ,

यह ज़रूर कोई कर्तव्यनिष्ठ ,भारत माँ का लाल होगा ,

अवश्य इस सड़ी व्यवस्था से कोई टेढ़ा सवाल होगा,

ऐसी ही परेशान नहीं हैं ,मिर्ची तीखी लगी है सीनों में,

चौकीदार ठहरा रणबांकुरा,भीषण  बवाल होगा ।32।

जो इतनी गालियां निकल रहीं हैं जहरीले तीरों की तरह ,

जो भीरू इतना क्रंदन कर रहे हैं  भेड़ियों कि तरह ,

देखो कौरव कैसे अभिमन्यु को अकेला पा लपलपा रहे हैं ,

कितनी भद्दी भाषा में सारे मिमिया रहे हैं ,

हम सोचते थे कब्रिस्तान में कहाँ कोई चौकीदार  होगा ,

खुला पड़ा हर बैंक, खुला कब्रिस्तान का द्वार होगा ,

कौन टटोलने की सोचेगा ताबूतों में सोई लाशों को ?

कौन उठा सकता है भला सोई हुई ज़िंदा लाशों को ? (40)

ये कहाँ से आ टपका आम आदमी पहरेदार बनकर ,

इसको कैसे हटा सकोगे विषैली ज़बान बनकर ?

कभी धर्म सिखाते हो ,कभी गोत्र बताते हो,

आजकल छुट्टियाँ मनाने बैंकॉक भी नहीं जाते हो ,

चेले-चपाटों को संभालो ,इन्हे फिजूल बकने की बीमारी है ,

तुम्हीं को खुश रखने की बड़ी ज़िम्मेवारी है ,

लौट कर मैं फिर कब्रिस्तान की तरफ ही आता हूँ ,

प्रधान प्रहरी को पूरी मुस्तैदी से बाहर खड़े हुए पाता हूँ ।48।


#kabristankachowkidar

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#चौकीदार #कब्रिस्तान

2 Comments Add yours

  1. Pranav mishra says:

    Bhai,tu to heera hai heera.
    Youtube pr ho kya.

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    1. abpunch says:

      YouTube Kahan se aa gaya bhai

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