मुल्क के सुरक्षा महकमों को, गहरा सोता पाये थे ,
सरहद पार से दस बरस पहले, जब दस मेहमान आए थे ।1।
गली-गली में घूम-घूम कर, गोलियां बरसाए थे ,
तार-तार भारत को करने का पूरा ,इंतजाम कर आए थे ।2।
साठ घंटे ,सैंकड़ों लाशें ,हमें कैसा लाचार दिखाये थे ,
मुंबई की सड़कों पर हाय, भीषण कत्लेआम मचाए थे ।3।
रख हिन्दू कागजात जिहादी, दारुल इस्लाम बनाने आए थे ,
रास्ते दरिया से होकर ,पैगाम जंग का लाये थे ।4।
नापाक पाक के टट्टू हमसे, गुस्ताखी करने आए थे ,
हिंदुस्तान के तहमुल्ल का,इम्तिहान लेने आए थे ।5। (तहमुल्ल –patience)
चुगली कर-कर अमरीका से ,हम कमजोरी दिखलाए थे ,
डॉसियर दुनिया को बाँट-बाँट कर,मन्नूजी इंतकाम दिलवाये थे ।6।
(मन्नूजी-मनमोहन)
दस बरस हुए पर भरे नहीं हैं,घाव जो हमने खाये थे ,
खुल्ले घूम रहे हाफिज़ पर चाहे, बड़े इनाम रखवाए थे ।7।
जो चले गए यूंही चले गए ,हम कितनों को जलाए थे ,
दशहतगर्दों के आकाओं को ,क्यूँ भारत में सलाम ठुकवाए थे। 8।
(isi अफसरान पठानकोट जांच में बुलाये गए )