चुनाव चुराने लेने भर को क्रांति नहीं कहते ,
विजय रथ पर सवार हो जाने से बदलाव नहीं होते ,
जो व्यवस्था बदलने की पालते हैं हसरतें ,
उनके सारे फैसले वोटर को भगवान मानकर नहीं होते ।4।
जब अफसरशाही आपकी तनिक भी नहीं सुनती ,
कोई संस्था आपके विचारों का सम्मान नहीं करती ,
समझिए सिस्टम के दायरे में रहकर बदलाव नहीं होगा,
पुराने आकाओं के नमकहलालों के साथ निर्वाह नहीं होगा ।8।
यह लोकतन्त्र बस एक भीडतंत्र बना गया है ,
नौकरशाहों ने इसे अपनी जागीर समझ रखा है ,
न्यायपालिका के अधिनायकत्व को चुनौती देगा कौन ?
जब आपने चुनाव जीतने को ही ध्येय समझ लिया है ? [१२]
सरकार में रहकर देश का कायाकल्प नहीं हो सकता ,
हाँ मानता हूँ शीर्ष पर आपसे बेहतर विकल्प नहीं हो सकता ,
पर इस सत्ता में बने रहकर न कभी गरीबी हटा पाएंगे ,
न हमारे किसानों के कभी अच्छे दिन ला पाएंगे ।16।
इस तंत्र को एक तगड़े मुष्टि-प्रहार की दरकार है ,
सोते समाज को जगा सकती अब राष्ट्रवादी हुंकार है ,
सत्तर बरस निकल चुके हैं यूंही धीरे-धीरे चलते-चलते ,
माँ भारती दे रही खूनी क्रांति की पुकार है। 20।
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