आशीष पांडे का सबसे बड़ा गुनाह है पिंक पेंट पहन कर भी बंदूक उठाने की हिमाकत करना । बाक़ी कुछ करने की ज़रूरत ही नहीं थी ,उसने वैसे कुछ खास किया भी नहीं । वह जो है ,जिस परिवार से आता है , वही प्रचुर है उसका मीडिया ट्राइल करके उसे फांसी दे देने के लिए ।
खैर अब जब कि आशीष ने सरैंडर कर दिया है तो मीडिया उससे दो मुख्य सवाल पूछ रहा है । पुलिस और कोर्ट क्या कह रहे हैं , यह तनिक भी महत्त्व नहीं रखता क्यूंकी उसकी जो फजीहत होनी थी वह हो चुकी है ।
पहला सवाल है कि उन्होने बंदूक क्यूँ निकाली ? आशीष कह रहा है ,और विडियो से साफ भी है कि बंदूक निकाली ज़रूर ,पर किसी पर तानी नहीं । गन लाइसेंसड थी ,झगड़े का माहौल था,आत्मरक्षा में बंदूक निकालना अपराध कैसे हुआ ? क्या गन रेडियोएक्टिव पदार्थ से बनी है की उसे निकालने भर से ही प्रलय आ जाएगा ? दरअसल बड़ी ज़िम्मेदारी से आशीष विडियो में बंदूक को खुद के पीछे ,नीचे की तरफ मुह किए हुए दिखाई देता है । यहाँ तो आशीष उर्फ सुड्ड को असला-अनुशासन बापरने के लिए बधाई देना बनता है ।
दूसरा सवाल मीडिया उठा रहा है कि अगर सुड्ड को लगता है कि वह बेगुनाह है तो वह भागा क्यूँ ? अरे जनाब ,होटल ने पुलिस को इत्तला नहीं दी , सामने वाली महिला ने पोलिस में शिकायत नहीं की ,सुड्ड तो वैसे भी खुद के हिसाब से आत्मारक्षा ही कर रहा था और घटना देर रात की है । बेचारा घर जाकर सो गया होगा ,देरी से उठा होगा और तब शायद जान पाया हो कि विडियो तो वाइरल हो गया । तब तक मीडिया रक्तपिपासू हो गया था ।रोबर्ट वाड्रा जैसा गुंडा तत्त्व आशीष के खिलाफ ट्वीट कर रहा था । ऐसे में किसी भी रणबांकुरे के हाथ पैर ढीले हो जाएँगे । और जब कोई क्राइम घटित ही नहीं हुआ तो यह सवाल ही सिरे से बेमानी है !
पुलिस से क्यूँ भागा ? ये कैसा सवाल है ? आदमी पुलिस,मीडिया और बीवी से नहीं भागेगा तो क्या उनका डटकर उनका सामना करेगा ?
सुड्ड का असली गुनाह है उस परिवार से होना जिसका वो है । पिता ,भाई और दो चाचा सभी नेतागिरी में हैं-सांसद और विधायकी के लेवेल पर रहे हैं । चाचाओं पर तो हत्या के मुकदमे भी चले हैं । सुड्ड पर कोई आपराधिक केस दर्ज नहीं है ,पर यह बात मीडिया के लिए मायने नहीं रखती । परिवार रियल एस्टेट और शराब का कारोबार करता है और काफी रसूखदार है । ऐसे मामलों में मीडिया दो और दो जोड़कर सात करके देखता है । खानदान का क्रिमिनल इतिहास और पेशों का आपराधिक-सा प्रतीत होना सुड्ड को एक संभावित कानूनहंता के तौर पर पेश करता है । वैसे अगर पांडे फॅमिली बीएसपी से न होकर बीजेपी से जुड़ी होती तो शायद मामला इतना गर्मी न पकड़ता ।
सुड्ड का दूसरा गुनाह है बड़ी बीएमडबल्यू में घूमना ,लाइसेंसड बंदूक रखना और रात को तीन –तीन विदेशी महिला मित्रों (यहाँ एक भारतीय नहीं संभालती,उस पर तीन फिरंगी घूमा रहा है ) के साथ पाँच सितारा होटलों में सैर सपाटे करना । कहने कि ज़रूरत नहीं है कि आज का समाज कुंठा और ईर्ष्या के ईंधन पर चल रहा है । अब सुड्ड पढ़ा होगा देशरादून और विदेशों में ,और होगा बड़ा कारोबारी ,लेकिन भारत में उसे सिर्फ अपने पारिवारिक पृष्ठभूमि में देखा जाएगा ।
सुड्ड का शायद सबसे बड़ा गुनाह है उसका पांडे होना । आप बोलेंगे सरनेम में क्या रखा है ,मैं कहूँगा जाति । अगर आप कहेंगे पांडे तो पंडित हुआ ,मैं बोलूँगा पूछो रविश रिपोर्टर से अपने नाम से पांडे क्यूँ हटा दिया ? अगर वेमुला और चन्द्रशेखर रावण को अमुक जाति से होने का खामियाजा उठाना पड़ा ,तो ऐसे कई पांडे ,शुक्ल और ठाकुर भी हैं जिनका जुलूस उनके ब्राह्मण और राजपूत होने की वजह से ही निकाल दिया जाता है ।
वैसे हमारे इंग्लिश मीडिया को हिन्दी गाली गलौच से बहुत समस्या है (लोकल भाषाएँ समझ नहीं आतीं ) ,खासकर पुरुष अगर उनका प्रयोग करें । महिलाओं को तो आत्मारक्षा में कई बार ऐसा करना पड़ जाता है ,पर असल व्यसन तो यह पुरुषों का ही है । निर्विवाद तौर पर सुड्ड विडियो में अपने दुश्मनों की माताओं-बहनों में बहुत गालियां निकाल रहा था । बंदूक भी उसके हाथ में थी । उसके बाद उसने पुलिस स्टेशन,रेपब्लिक टीवी या एनडीटीवी दफ्तर जाकर आत्मसमर्पण भी नहीं किया । यह सब उसके अपराध को साबित करते हैं ।
बात कुछ ऐसी है की बहसबाजी की शुरुआत अंदर ह्यात के बाथरूम में हुई । सुड्ड की तीन विदेशी महिला मित्र जब महिलाओं के वाशरूम में थीं तो एक लड़का भी अपनी प्रेमिका के साथ अंदर घुस आया । यह लड़का,गौरव कंवर, कोई निरा चूतिया नहीं अपितु दिल्ली के एक भूतपूर्व विधायक का पुत्र है और इसका कहना है कि चूंकि इसकी गर्लफ्रेंड बहुत ज्यादा पी कर उल्टियाँ कर रही थी ,तो उसकी तीमारदारी करने हेतु वह महिलाओं के बाथरूम में घुसा चला आया । आशीष तो बहस बढ़ती देखकर गौरव को धमकाने बाद में वहाँ आया ,यानि कह सकते हैं अपनी तीन महिला मित्रों कि सुरक्षा की खातिर मैदान में कूदा । विडियो में आशीष कह रहा है हम लखनऊ से हैं ,वहाँ देख लेंगे । शायद ऐसा उसे इसलिए कहना पढ़ा हो क्यूंकी गौरव तो दिल्ली का है और उसने दिल्ली में ही सुड्ड को देख लेने कि धमकी दी हो । विडियो में सुड्ड गौरव की प्रेयसी से बात करता भी नहीं दीखता,बल्कि वह ही उसे धक्का मारती और बीच वाली उंगली दिखाती नज़र आती है । मुझे तो समझ नहीं आता कैसे शुक्रिया अदा किया जाये सुड्ड का जिसने विदेशी महिलाओं की इज्ज़त बचाई ,और बंदूक बीच में लाकर किसी भी मारपीट की संभावना को समाप्त कर दिया ।
कुल मिलाकर यह एक बहुत ही टुच्चा मामला है ,जिसमे कोई अपराध घटित नहीं हुआ । पर पिछले चार दिन से मीडिया जिस तरह से बौराया हुआ है ,यह दरअसल मीडिया कि औकात दर्शाता है । आशीष पांडे इतना फूटेज खा चुका है जितना बच्चन को पिछले पाँच दिनों में केबीसी में नहीं मिला । कैसे इस फ़ोर्थ एस्टेट को कोई गंभीरता से ले ?