तुमने नया कानून पारित करा तो दिया ,कठोर
पर अबके वोटों की फसल बम्पर न होने पायगी,
शोषित बरसों से देख रहे हैं खेल तुम नेताओं का,
अब पहचान गए हैं तुम्हारी असली नीयत,
जान गए हैं अपने संगठन में निहित वोट-शक्ति ।5।
पिछड़ों का अनुसरण कर अब अगड़े भी हुए हैं लामबंद ,
(कौन पीछे है ,कौन आगे,यह फैसला भी नेता तुमने किया ) ,
शोषक-शोषित में बंटा हुआ था हमारा प्राचीन समाज ,
जाति की राजनीति को हवा देकर और प्रदूषित किया ,
कहाँ हुए उन्मूलन के प्रयास ,मौके-मौके पर समाज को विखंडित ही किया ! (10)
अब हमारे वोटतन्त्र के कण-कण में है जाति ,
मन- प्राण में बसी हुई ,समाज को थामे हुए सिर्फ जाति ,
मेरा धर्म-कर्म जाति ,मेरा भूतो -भविष्य जाति ,
मेरी हस्ति जाति ,मेरा परिचय मेरी जाति ,
सत्तर बरस के लोकतन्त्र की बस यही है थाती ।15।
सबको सबसे लड़वा-लड़वाकर ,तुम सरकारें बना रहे थे ,
अब सारे पत्ते खुल गए हैं ,अगड़ा-पिछड़ा संभल गए हैं ,
इस विभाजित समाज में तुम कैसे गणित बिठाओगे ,
बंदर मामा पोल खुल गयी ,म्याऊँ पंजों से न बच पाओगे ,
देखते हैं सत्तालोलुप ,इस दफ़े कैसे सरकार बनाओगे ? (20)
नोटा की जब चपत लगेगी ,नोटबंदी की आह भुला देगी ,
मैंने जो मांग लिए अपने अधिकार ,
तो मेरी हठ तेरी सरकार डुला देगी ,
न कभी तुम एक पक्ष के थे ,न दूसरे के हो पाओगे ,
कोई भेद ही नहीं बचेंगे ,जब तुम धंधे में न रह जाओगे ।25।